प्रवासी कविता : वंदे मातरम

पुष्पा परजिया
एक कंपन सी हो जाती है
 
एक लहरी सी उठ जाती है
जब-जब देखूं मां भारती तेरी तस्वीर
 
हृदय वीणा झंकृत सी हो जाती है
उठा है तूफान जहां में तेरे प्रेम या भक्ति का
 
या जब-जब करूं मातृभूमि माई भक्ति तेरी
एक खुमारी सी मन में छा जाती है
 
मेरी मां तेरी गरिमा को हम बच्चे तेरे शीश नवाते हैं,
कभी कमी न आने देंगे ये कसम आज हम खाते हैं
 
मेरी गंगा, मेरी जमुना जो बसी है सिर्फ तुझमें
वो हिला वो कंचनजंगा का तरीका ने किया विस्तार तुझमें
 
जिसे देख-देख फूले न समाएं, हम सब बच्चे तेरे
तुझमें सृष्टि की सुगंध समाई, नाज़ करते हैं हम तुझपे
 
विश्व में जो कहीं नहीं वो ज्ञान भंडार भरे हैं तुझमें। 
धर्म, ज्ञान विज्ञान या संस्कार सभी तो तुझसे ही मिलते हैं हमें।
 
कभी मनाएं आजादी का दिन, कभी गणतंत्र दिवस के झंडे फहराएं
कर प्रणाम प्यारे तिरंगे को, हम भारतवासी सदा ही नतमस्तक हो जाएं।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख