प्रवासी साहित्य : गुंजित पुरवाई...

लावण्या शाह
खिले कंवल से,
लदे ताल पर,
मंडराता मधुकर,
मधु का लोभी।
 
गुंजित पुरवाई,
बहती प्रति क्षण,
चपल लहर,
हंस, संग-संग हो ली।
 
एक बदली ने झुककर पूछा,
'मधुकर, तू गुन-गुन क्या गाए?
छपक-छप मार कुलांचे,
मछलियां, कंवल पत्र में,
छिप-छिप जाएं।' 
 
हंसा मधुप रस का लोभी,
बोला, 'कर दो छाया बदली रानी।
मैं भी छिप जाऊं कंवल जाल में,
प्यासे पर कर दो, मेहरबानी।'
 
'रे धूर्त भ्रमर तू रस का लोभी,
फूल-फूल मंडराता निस दिन,
मांग रहा क्यों मुझसे छाया?
गरज रहे घन ना मैं तेरी सहेली।'
 
टप-टप बूंदों ने,
बाग, ताल, उपवन पर,
तृण पर, बन पर,
धरती के कण-कण पर,
अमृत रस बरसाया,
निज कोष लुटाया।
 
अब लो बरखा आई,
हरीतिमा छाई,
आज कंवल में कैद
मकरंद की सुन लो
प्रणयपाश में बंधकर,
हो गई सगाई।
 
 
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि में कम करना चाहते हैं वजन, तो भूलकर भी ना खाएं ये 6 चीजें

Chaitra navratri diet: नवरात्रि में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानें सही डाइट टिप्स

डायबिटीज-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं नवरात्रि व्रत में खाए जाने वाले ये 7 सुपर फूड, सेहत को मिलते हैं अनगिनत फायदे

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

सभी देखें

नवीनतम

ईद के इस चांद की चरह दमकता रहे आपका हर दिन, रब से बस यही दुआ मांगते हैं ईद के दिन... खास अंदाज में कहें ईद मुबारक

चीन ने तिब्बत हड़प लिया, दुनिया ने भुला दिया, चीन के जुल्म सहने को मजबूर हैं तिब्बती

हिन्दू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं, जानिए इसे मनाने के भिन्न भिन्न तरीके

वॉक करते समय दिखने वाले इन संकेतों को ना करें नजर अंदाज, बैड कोलेस्ट्रॉल के हो सकते हैं लक्षण

गुड़ी पड़वा विशेष: गुड़ी पर क्यों चढ़ाते हैं गाठी/पतासे का हार, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

अगला लेख