होली के त्योहार पर प्रवासी कविता : कान्हा होली खेले राधा संग

पुष्पा परजिया
ऋतु राज वसंत और महीना हुआ फागुन
 
टेसुओं का बरसे रंग और बृज में खेलें कान्हा होली राधा के संग
 
मन मयूर नाचे छम छम जब,
राधा, होरी खेले कान्हा संग
 
होली की इस पावन बेला में रंग उड़े हजार
रंगों के रमझट में अब तो राधा हुई निहाल
 
बरसे गुलाल, बरसे टेसू रंग, 
पीला पीतांबर पहने कान्हा रम गए राधा संग
 
निश्चल अमर प्रेम जिनका दोनों के एक स्वरूप,
कभी राधा, दिखे कान्हा और कभी दिखे कान्हा राधे, 
ऐसी उनकी प्रीत जो भिगोए होली के रंग।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

जैव विविधता पर कविता : मैं अब भी प्रतीक्षा में हूं

ओरंगजेब के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़े जाने के बाद अहिल्याबाई होलकर ने किया था इसका पुनर्निर्माण, जानिए इतिहास

एक अद्वितीय शासक और लोकमाता: रानी अहिल्याबाई होल्कर की प्रेरणादायक गाथा

31 मई को लोकमाता अहिल्या बाई की जयंती: अपने परिजनों, मित्रों को भेजें ये 10 सुंदर मैसेज

05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस, जानें पर्यावरण संरक्षण पर 20 प्रेरणादायक और प्रभावी स्लोगन

अगला लेख