प्रवासी कविता : गोपियां...

Webdunia
- दिगंबर नासवा


 
साथ मेरा छोड़ गए
गम से रिश्ता जोड़ गए
सच न कह दे आईना
आईने को तोड़ गए
 
लहू की थी प्यास उनको
जिस्म जो निचोड़ गए
शेर को आते जो देखा
जानवर सब दौड़ गए
 
प्रेम करना सीख लिया
आत्मा के कोढ़ गए
गोपियां भरमा रहीं है?
कृष्ण मटकी फोड़ गए
 
बाप ने गलती जो देखी
कान फिर मरोड़ गए।
साभार- गर्भनाल 

 
Show comments

इस चाइनीज सब्जी के आगे पालक भी है फैल! जानें सेहत से जुड़े 5 गजब के फायदे

आइसक्रीम खाने के बाद भूलकर भी न खाएं ये 4 चीज़ें, सेहत को हो सकता है नुकसान

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

लू लगने से आ सकता है हार्ट अटैक, जानें दिल की सेहत का कैसे रखें खयाल

जल्दी निकल जाता है बालों का रंग तो आजमाएं ये 6 बेहतरीन टिप्स

AC का मजा बन जाएगी सजा! ये टेंपरेचर दिमाग और आंखों को कर देगा डैमेज, डॉक्टरों की ये सलाह मान लीजिए

गर्मी में फलों की कूल-कूल ठंडाई बनाने के 7 सरल टिप्स

घर में नहीं घुसेगा एक भी मच्छर, पोंछे के पानी में मिला लें 5 में से कोई एक चीज

क्या कभी खाया है केले का रायता? जानें विधि

जीने की नई राह दिखाएंगे रवींद्रनाथ टैगोर के 15 अनमोल कथन