गांधी

- डॉ. सुरेश राय

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गांधी जिंदा हैं।
किसने कहा -
मैंने कहा।
तुम कौन?
मैं, नेता -
भाड़ में जाओ।

गांधी जिंदा हैं।
किसने कहा -
मैंने कहा।
तुम कौन?
मैं, समाज सेवी -
भाड़ में जाओ।

गांधी जिंदा हैं।
किसने कहा -
मैंने कहा।
तुम कौन?
मैं, बुद्धिजीवी लेखक -
भाड़ में जाओ।

गांधी जिंदा हैं।
किसने कहा -
मैंने कहा।
तुम कौन?
मैं, आम आदमी -
ठहरो, सुनो।
कैसे कह सकते हो?
तुम्हारे आंख, कान, मुंह सब बंद हैं।

मैं गांधी का बंदर
पल-पल मरकर जीता हूं।
तभी तो कहता हूं -
गांधी जिंदा हैं।
गांधी शरीर नहीं
विचार हैं।
मुश्किल घड़ी में
अहिंसा और असहयोग के तेवर
लौट आते हैं, और
गांधी जिंदा हो जाते हैं।
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