GN |
एक रात को
अगर
दो दिनों के
उजालों ने
अपने बीच में
कैद
नहीं किया होता
तो
यहां चारों ओर
अंधेरा ही अंधेरा होता
मुझे अंधकार से रोशनी की ओर
ले चलो
तमसो मा ज्योतिर्गमय
जीवन ने
अगर
मौत के टुकड़े-टुकड़े करके
दिल की दो धड़कनों की
दीवारों के बीच
एक-एक करके उन टुकड़ों को
बंद नहीं कर दिया होता तो
यहां चारों ओर
मौत का मातम छाया होता।
मुझे मृत्यु से अमरता की ओर
ले चलो
मृत्योर्मा अमृतंगमय
खामोशी के एक टुकड़े को
अगर
संगीत के दो स्वरों ने
अपने बीच
कैद नहीं किया होता तो
यहां चारों ओर सिर्फ
सुनसान होता
यहां चारों ओर
खौफनाक चुप्पी होती
मुझे खामोशी से संगीत की ओर
ले चलो
निशब्दोमा संगीतंगम य।