गांधीजी के भारत लौटने की 100वीं वर्षगांठ पर जुटे विद्वान

भाषा
जोहान्सबर्ग। महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की 100वीं वर्षगांठ पर विश्वभर से कई विद्वान गांधीवादी सिद्धांतों और अंतरधार्मिक संवाद बढ़ाने के लिए सप्ताहांत यहां एकत्र हुए।


 
दक्षिण अफ्रीका में ‘सत्याग्रह’ की अलख जगाने के बाद महात्मा गांधी के भारत लौटने की शताब्दी के उपलक्ष्य में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत, अमेरिका और अफ्रीका से कई वक्ताओं ने भाग लिया।
 
उन्होंने ‘गांधी और उनकी विरासत : एक वकील से महात्मा’ शीर्षक के अंतर्गत अपने विचार रखे और इस पर भी चर्चा की कि दक्षिण अफ्रीका के निर्माण में उनका क्या प्रभाव रहा।
 
भारतीय उच्चायुक्त रूचि घनश्याम ने कहा कि इस सम्मलेन का जोहान्सबर्ग में होना उचित है क्योंकि यहीं महात्मा गांधी ने अपने ‘सत्याग्रह’ की नींव रखी थी।
 
इस सम्मेलन का आयोजन विटवाटरस्रैंड विश्वविद्यालय के भारतीय अध्ययन केंद्र और जोहान्सबर्ग एवं प्रिटोरिया के भारतीय मिशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
 
इसमें गांधी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं और नस्लभेद के खिलाफ अभियान में उनके योगदान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
 
घनश्याम ने कहा कि यह ऐतिहासिक आयोजन महात्मा गांधी के भारत लौटने की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सालभर चलने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा है।

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