अमेरिकी सीनेटर बोला, जरूरतों के मुताबिक घटे-बढ़े एच1बी वीजा

Webdunia
बुधवार, 29 मार्च 2017 (12:48 IST)
वॉशिंगटन। अमेरिका के एक प्रमुख सीनेटर ने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की जरूरतों के आधार पर एच1बी कार्य वीजा की संख्या को बढ़ाने और कम करने की जरूरत है। ये वीजा भारतीय तकनीकविदों और आईटी कंपनियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। उत्तर कैरोलीना के सीनेटर थॉम टिलिस ने वित्तीय कंपनियों के मुद्दे पर सीनेट की सुनवाई के दौरान मंगलवार को ये टिप्पणियां कीं।
 
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टिलिस ने कहा कि इनकी (एचबी वीजा की) संख्या को अमेरिकी अर्थव्यवस्था की जरूरतों के मुताबिक कुछ पदों पर तैनाती के लिए बढ़ाए और घटाए जाने की जरूरत है। टिलिस सीनेट की वित्तीय समिति के समक्ष पेश हुए विशेषज्ञों से यह जानना चाहते थे कि क्या अमेरिका में अपने उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में काबिल लोग मौजूद हैं? 
 
उन्होंने सवाल उठाया कि 3 से साढ़े 3 प्रतिशत जीडीपी विकास दर के लिए देश में एच1बी वीजा की जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या पर्याप्त संख्या में दक्ष अमेरिकी हैं?
 
उन्होंने कहा कि मैं शोषण वाले हिस्से को भी समझता हूं। तभी हम ऐसे कारोबार ढूंढना चाहते हैं, जो असल में वीजा कार्यक्रमों को दरकिनार करते हों लेकिन क्या आपको लगता है कि साढ़े 3 या 4 प्रतिशत की जीडीपी वाली अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी श्रमबल की पूर्ति के लिए हमारे पास पर्याप्त लोग हैं?
 
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और एएफएल-सीआईओ के प्रमुख अर्थशास्त्री विलियम स्प्रिग्स ने कहा कि ऐसा तब संभव है, जब अमेरिका अमेरिकियों में पर्याप्त निवेश करना जारी रखता है। उन्होंने कहा कि यदि हम अमेरिकी बच्चों में पर्याप्त निवेश की ओर लौटते हैं, उनमें यकीन रखते हैं तो हम उन्हें काम करने के लिए पर्याप्त रूप से शिक्षित कर सकते हैं। 
 
गिरावट के दौरान हम तब भी एच1बी वीजा कर्मियों को लाते रहे, जबकि हम उस उद्योग से लोगों को निकाल रहे थे और नौकरियों के लिए बेताब छात्रों को स्नातक बनाना जारी रखे हुए थे। उन्होंने कहा कि आज युवा ऐसे क्षेत्रों में पढ़ाई करना पसंद कर रहे हैं, जहां एच1बी वीजा धारकों को नियुक्त नहीं किया जाता। ऐसे में उन्हें वहां प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता। अपने बेटे का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि वह इसीलिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर रहा है।
 
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि कर्मियों के पास हमेशा नागरिकता हासिल करने का रास्ता होना चाहिए। अस्थायी वीजा कार्यक्रम, एच-2बी कार्यक्रम, एच-1बी वीजा कार्यक्रम- ये सभी कार्यक्रम कर्मियों का शोषण करते हैं। ये अमेरिकी कर्मियों और इन कार्यक्रमों पर आए कर्मियों दोनों का ही नुकसान करते हैं। 
 
डोनाल्ड ट्रंप के पदभार संभालने के एक सप्ताह के भीतर रिपब्लिकन सीनेटर चक ग्रासले और असिस्टेंट सीनेट मानोरिटी लीडर डिक डरबिन एच-1बी और एल-1 वीजा सुधार कानून लेकर आए थे। इसका उद्देश्य अमेरिकी कर्मियों को प्राथमिकता देना और प्रशिक्षित कर्मियों के लिए बने वीजा कार्यक्रमों में निष्पक्षता बहाल करना था। (भाषा)
 
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