कथा (यूके) के अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित मीडिया हस्ती कैलाश बुधवार ने लंदन से सूचित किया है कि वर्ष 2014 के लिए अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान कवि/ कथाकार सुंदरचंद ठाकुर को राजकमल प्रकाशन से 2012 में प्रकाशित उपन्यास 'पत्थर पर दूब' पर देने का निर्णय लिया गया है।
अबकी बार यह सम्मान विशेष तौर से दिल्ली में नेहरू सेंटर, लंदन एवं आईसीसीआर के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। इस भव्य कार्यक्रम में पूर्व सम्मानित साहित्यकारों की उपस्थिति में ठाकुर को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। सम्मान के तहत ठाकुर को 51 हजार रुपए नकद, एक शॉल, स्मृति चिह्न एवं मानपत्र प्रदान किया जाएगा।
कैलाश बुधवार ने बताया कि इस वर्ष सम्मान के लिए कुछ बेहतरीन उपन्यासों पर विचार किया गया। अंतिम 6 उपन्यासों की सूची में एक कस्बे के नोट्स (निलेश रघुवंशी), शान-ए-अवध (सुधाकर अदीब), आमचो बस्तर (राजीव रंजन), कस्बयी सिमोन (शरद सिंह) एवं कामिनी काय कांतारे (महेश कटारे) शामिल थे।
विजेता का चुनाव करने में निर्णायकों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। कथा यूके ने अपने 19 सम्मानित कथाकारों को भी इस कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है।
इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवयित्री इंदु शर्मा की स्मृति में की गई थी। इंदु शर्मा का कैंसर से लड़ते हुए अल्प आयु में ही निधन हो गया था। अब तक यह प्रतिष्ठित सम्मान चित्रा मुद्गल, संजीव, ज्ञान चतुर्वेदी, एसआर हरनोट, विभूति नारायण राय, प्रमोद कुमार तिवारी, असगर वजाहत, महुआ माजी, नासिरा शर्मा, भगवानदास मोरवाल, ऋषिकेश सुलभ, विकास कुमार झा, प्रदीप सौरभ एवं पंकज सुबीर को प्रदान किया जा चुका है।
सुंदरचंद ठाकुर का जन्म 11 अगस्त 1968 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हुआ। 1990 में विज्ञान में स्नातक डिग्री पाने के बाद उन्होंने मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा हासिल किया। 1992 से 1997 तक वे भारतीय सेना में कमीशंड अफसर के पद पर कार्यरत रहे।
2003 में वे सेना से सेवानिवृत्ति लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया समूह से जुड़ गए तथा वे आजकल नवभारत टाइम्स मुंबई के स्थानीय संपादक हैं। उनके दो कविता संग्रह ‘किसी रंग की छाया’ एवं ‘एक दुनिया असंख्य’ प्रकाशित हो चुके हैं।
उनकी कहानियां हंस, नया ज्ञानोदय, वागर्थ आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उनकी कविताओं का जर्मन, बांग्ला, मराठी एवं अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। 'पत्थर पर दूब' उनका पहला उपन्यास है। भारतीय सेना पर लिखी गई यह एक अनूठी रचना है।
46 वर्षीय सुंदरचंद ठाकुर को भारतीय भाषा परिषद का युवा पुरस्कार एवं भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
कथा यूके परिवार अपने निर्णायक मंडल, सभी लेखकों, पत्रकारों, संपादकों, मित्रों और शुभचिंतकों का हार्दिक आभार मानते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता है जिन्होंने इस वर्ष के पुरस्कार चयन के लिए लेखकों के नाम सुझाकर हमारा मार्गदर्शन किया और हमें अपनी बहुमूल्य संस्तुतियां भेजीं।