भारत के लिए पहला पदक जीतने वाला था एक अंग्रेज! गुमनामी में बिताई जिंदगी

Webdunia
बुधवार, 14 जुलाई 2021 (22:40 IST)
ओलिम्पिक में भारत की झोली में पहला पदक किसी भारतीय ने नहीं बल्कि एक अंग्रेज नार्मन प्रिचार्ड ने डाला था और यह विडंबना ही है कि कामयाबी की बुलंदी पर पहुंचने के बाद उनका नाम गुमनामी के अंधेरों में कहीं खो गया।
 
प्रिचार्ड ने 1900 के पेरिस ओलिम्पिक में पुरुषों की 200 मीटर दौड़ और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था। भारत इन पदकों के सहारे तालिका में 17वें स्थान पर रहा।
 
आधुनिक ओलिम्पिक में भारत के पहले नुमाइंदे प्रिचार्ड को उस समय इल्म भी नहीं था कि उन्होंने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है। उसके बाद 108 बरस में कोई भी भारतीय एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत सका है।
 
अंग्रेजों के शासन में कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ने वाले प्रिचार्ड को एक बेहतरीन छात्र और कुशल खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था।
 
आलम यह था कि अंग्रेज अधिकारी उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में अपनी ओर से खेलने की पेशकश करते थे। फुटबॉल और एथलेटिक्स में निष्णात प्रिचार्ड बाद में पढ़ाई के लिए लंदन चले गए।
 
उसी दौरान उनके कुछ दोस्तों ने पेरिस स्पोर्ट्स मीट (ओलिम्पिक) में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया यानी शौकिया तौर पर वे खेलों की सबसे बड़ी जंग में उतरे थे। उस समय ओलिम्पिक में भागीदारी को लेकर कड़े नियम-कायदे नहीं हुआ करते थे।
 
प्रिचार्ड को पता भी नहीं था कि वे भारत की ओर से खेल रहे हैं। उन्होंने 200 मीटर दौड़ में 22.8 सेकंड का समय निकाला और वाल्टर टक्सबरी जैसे महान एथलीट के बाद वे दूसरे स्थान पर रहे। बाधा दौड़ में 26.6 सेकंड का समय निकालकर उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया।
 
ओलिम्पिक इतिहासकार हालांकि प्रिचार्ड को ब्रिटेन का खिलाड़ी मानते हैं। तीन बरस पहले आईएएएफ ने 2004 के ओलिम्पिक खेलों के लिए ट्रैक और फील्ड के आधिकारिक आंकड़े जारी किए, जिसमें रिकॉर्डों के इतिहास में प्रिचार्ड को 1900 में ग्रेट ब्रिटेन का खिलाड़ी बताया गया।
 
अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति हालांकि प्रिचार्ड को भारत का ही खिलाड़ी मानती है और उनके दोनों रजत पदक भारत के ही नाम दर्ज हैं। पेरिस में हुए इन खेलों के बाद प्रिचार्ड के बारे में किसी को कुछ पता नहीं चल सका। इतिहास के पन्नों पर उनका कोई जिक्र नहीं है।
 
कुछ लोगों ने बाद में कहा कि वे लंदन से अमेरिका चले गए, जहां कुछ मूक फिल्मों में उन्होंने काम भी किया, लेकिन उनकी मौत के बारे में भी कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है।
 
इस तरह ओलिम्पिक में भारत की पहली नुमाइंदगी करने वाला यह महान एथलीट गुमनाम विजेता बनकर रह गया। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

रोहित और कोहली का T20I टीम में चयन क्या विश्व कप में भारत को भारी पड़ेगा?

लक्ष्य और चिराग को भारतीय टीम में जगह मिलने से सेन परिवार में खुशी का माहौल

क्या विराट और रोहित दिखेंगे सलामी बल्लेबाजी करते हुए? यह 5 सवाल उठे

धोनी के हस्ताक्षर वाली टीशर्ट आज भी दिल के करीब संजोकर रखी है सुनील गावस्कर ने

तुम लोग कुछ भी कहो, मैं नहीं रुकने वाला

archery cup : भारतीय पुरुष और महिला कंपाउंड टीमों ने तीरंदाजी में स्वर्ण पदक जीता

विश्व रिकॉर्ड पीछा करते हुए पंजाब किंग्स ने केकेआर को हराया

IPL 2024: RR vs LSG का मैच होगा धमाकेदार, दोनों ही टीम हैं दमदार

ICC T20I World Cup के Brand Ambassador बने ऑलराउंडर युवराज सिंह

क्या 2003 के विश्वकप फाइनल में रिकी पोंटिंग के बल्ले में था स्प्रिंग? वीडियो हुआ वायरल

अगला लेख