विजेन्दर सेमीफाइनल मुकाबला हारे

क्यूबाई मुक्केबाज एमिलियो 8-5 से जीतकर फाइनल में

Webdunia
शुक्रवार, 22 अगस्त 2008 (18:50 IST)
विजेन्दर कुमार अपने काँस्य को स्वर्ण में नहीं बदल पाए लेकिन आज यहाँ सेमीफाइनल में मिली हार के बावजूद वह भारत के पहले ओलिम्पिक पदक विजेता मुक्केबाज और करोड़ों दिलों के नायक बन गए।

क्यूबा के एमेलियो कोरिया बायोक्स ने मिडिलवेट (75 किग्रा) वर्ग में विजेन्दर को 8-5 से हराया जिसका मतलब है कि भारतीय मुक्केबाज को काँस्य पदक से ही संतोष करना पड़ेगा, जो पहले ही उनके नाम पर पक्का हो गया था।

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क्यूबाई मुक्केबाज ने विजेन्दर के कद से अच्छी तरह सामंजस्य बिठाया और दूर से आक्रमण करके अंक जुटाने का फायदा उठाया। उन्होंने विजेन्दर को पहले तीसरे और चौथे दौर में एक बार भी सही जगह पर पंच नहीं जमाने दिया।

अंतिम दौर में भारतीय को दो पेनल्टी अंक भी मिले लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और क्यूबाई मुक्केबाज आसानी से फाइनल में पहुँचने में सफल रहा। हैरानी की बात यह रही कि दूसरे दौर को छोड़कर विजेन्दर ने पूरे मुकाबले में खुद को पीछे रखा तथा अधिकतर समय हवा में ही मुक्के चलाए।

म्यूनिख ओलिम्पिक 1972 के स्वर्ण पदक विजेता एमेलियो कोरिया वेलिएंट के पुत्र एमेलियो घुमाकर मुक्का जमाने या अपर कट पर निर्भर नहीं रहे और उन्होंने अधिकतर अंक सीधे मुक्कों से जुटाए।

एमेलियो दोनों में अधिक तेज था और उन्होंने दूसरे दौर के शुरू में 3-0 की बढ़त बना ली। विजेन्दर ने इस दौर के अंत में स्कोर 4-3 कर दिया था लेकिन क्यूबाई मुक्केबाज ने तीसरे दौर में फिर से चतुराई भरा खेल दिखाकर अपनी जीत लगभग पक्की कर दी थी।

हार से निराश विजेन्दर ने कहा कि जब एमेलियो 3-0 से आगे हो गएतो वापसी करना मुश्किल था। मैंने दूसरे दौर में अंतर कम करने की बहुत कोशिश की लेकिन इसमें पूरी तरह से सफल नहीं रहा।

उन्होंने कहा कि मैं बहुत निराश हूँ तथा सभी से माफी माँगता हूँ कि मैं यह मुकाबला नहीं जीत पाया लेकिन वादा करता हूँ मैं 2012 ओलिम्पिक में वापसी करके इस मुक्केबाज को हराकर स्वर्ण पदक जीतूँगा।

विजेंदर ने कहा कि मैंने उनके दाएँ हाथ से पड़ने वाले मुक्कों के लिए अच्छी तैयारी कर रखी थी लेकिन उसका बायाँ मुक्का भी समान रूप से मजबूत था और अक्सर मेरे पास उसका कोई जवाब नहीं था।

विजेंदर पहले और तीसरे दौर में कोई अंक नहीं बना पाए। अंतिम दौर में भी उन्हें दो पेनल्टी अंक मिले क्योंकि क्यूबाई मुक्केबाज ने उन्हें धक्का दे दिया था।

भारतीय मुक्केबाज ने शुरू में अपने प्रतिद्वंद्वी पर अपर कट जमाने की कोशिश की लेकिन दो बार के पैन अमेरिकी चैंपियन एमेलियो पहले दौर के शुरुआती मिनट में ही दो अंक हासिल करने में सफल रहे।

23 वर्षीय विजेन्दर ने दूसरे राउंड में वापसी की अच्छी कोशिश की। इस दौर में भी एमेलियो ने पहला अंक जुटाया और उन्होंने फिर बचाव करते हुए आक्रमण करने की अपनी रणनीति से एक और अंक अपने नाम किया।

विजेंदर ने इसके बाद तीन अंक हासिल करके स्कोर 3-4 कर दिया लेकिन तीसरे दौर में तीन अंक गंवाने और कोई अंक हासिल न कर पाने का खामियाजा विजेन्दर को आखिर में हार के रूप में भुगतना पड़ा।

जब अंतिम राउंड शुरू हुआ तो विजेन्दर 3-7 से पीछे चल रहा था तब क्यूबाई मुक्केबाज ने अपने अंकों का बचाव करने के लिए भारतीय मुक्केबाज को रिंग के चारों तरफ घुमाने की रणनीति अपनायी। उन्होंने इस वजह से विजेन्दर को धक्का भी दे दिया जिससे भारतीय मुक्केबाज को दो अंक मिले लेकिन इससे परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ा।

विजेंदर को अब भी खुशी है कि मैं भारत के लिए मुक्केबाजी में पहला पदक जीतने में सफल रहा। मुझे लगता है कि अब भारत में मुक्केबाजी के दिन बदलेंगे। हमने इस खेल में अच्छी प्रगति की है और इसकी छाप यहाँ देखने को मिली।

कोच गुरबख्श सिंह संधू भी बहुत नाखुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि कम से कम हम पदक जीतने में सफल रहे। यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। पहली बार तीन भारतीय क्वार्टर फाइनल में पहुँचे। हमने अपनी क्षमता दिखाई और अब सारी दुनिया हमें देख रही है।

रणनीति के तहत आई थी फ्रैक्चर की खबर : इस बाउट के शुरू होने के आधे घंटे पहले इस खबर ने चौंका दिया था कि एमिलियो के दाएँ हाथ में फ्रैक्चर है और वे अपना नाम वापस ले सकते हैं, लेकिन इस खबर के कुछ ही मिनट बाद यह भी खबर आ गई कि एमिलियो ने फिटनेस टेस्ट पास कर लिया है।

माना जा रहा है कि एमिलियो ने मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए ही फ्रैक्चर की खबर फैलाई हो। इस तरह के मुकाबलों में अकसर अफवाहों का बाजार भी गर्म हो जाता है। वैसे पूरे भारत की नजर इस मुकाबले पर लगी थी और सभी विजेन्दर की जीत की दु‍आ माँग रहे थे, लेकिन यह दुआ बेअसर रही।

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