अनंत चतुर्दशी पर अनंत धागे का महत्व

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अनंत चतुर्दशी पर्व 11 सितंबर को यह पर्व भक्तिभाव के साथ मनाया जाएगा। अनंत चतुर्दशी के बाद से ही गली मोहल्लों में स्थापित गणेश प्रतिमाओं को बाजे-गाजे के साथ विसर्जन किया जाएगा।

भादों का महीना त्योहारों का महीना माना गया है, क्योंकि सर्वाधिक व्रत और त्योहार इसी महीने में मनाए जाते हैं। नागपंचमी, हलषष्ठी, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी के बाद अब अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। यह व्रत सच्चिदानं द, अविनाशी अनंत ईश्वर से जोड़ने वाला व्रत है। इसमें दिन भर व्रत रखने के बाद 14 गांठों वाली अनंत धागे की पूजा-अर्चना कर भुजा में बांधे जाते हैं।

इस वर्ष यह व्रत रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर 1 बजकर 9 मिनट पर भद्रा लग जाएगा, लिहाजा इस समय के पहले ही अनंत की पूजा-अर्चना करना उचित होगा। उन्होंने बताया कि इसकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर पुरुषों के दाहिने व महिलाओं के बाएं भुजे में अनंत धागा बांधना चाहिए।

अनंत चतुर्दशी के दो दिन पहले शहर की सड़कों में अनंत धागे बिकने लगे है। लोगों ने इसकी खरीदारी भी शुरू कर दी है। दुकानों में यह धागा साइज और मोटाई के अनुसार पांच रुपए से लेकर 15 रुपए जोड़े तक में बिक रहा है।

अनंत धागे की 14 गांठें 14 लोक या 14 भुवन का परिचायक है, जो हमें बताता है जीवात्मा 14 लोकों में जहां कहीं भी हो वह अनंत ईश्वर से जुड़ा हुआ है। अनंत चतुर्दशी के दूसरे दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।

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