अष्टतीर्थ यात्रा के प्रमुख स्थान

पंचक्रोशी यात्रा में पुण्य प्राप्ति के स्थल

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पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत गुरुवार एकादशी से हो गई है। इस दौरान मुहूर्त से प्रारंभ की जाने वाली यात्रा का शुभ फल मिलता है। यात्रा की पूर्णता भी अष्टाविशंति (अष्ट तीर्थ) यात्रा के साथ करने का शास्त्रों में उल्लेख है।

तीर्थ पुरोहित पं. त्रिवेदी के अनुसार अष्टतीर्थ यात्रा अर्थात अष्टाविशंति (28) तीर्थ यात्रा है। इनका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंति खंड में है और समस्त स्थानों पर शिव पूजा का महत्व है। पंचक्रोशी यात्रा का पुण्य अष्टाविशंति यात्रा के बाद ही प्राप्त होता है। अष्टतीर्थों में से कई विलुप्त भी हो गए हैं। इन 28 तीर्थों में निम्न तीर्थ शामिल हैं। जिनके दर्शन का पंचक्रोशी यात्रा में बहुत महत्व है।

रूद्र तीर्थ (रूद्र सागर)
कर्कराज तीर्थ (कर्कराज मंदिर)
नृसिंह तीर्थ (नृसिंह घाट)
नीलगंगा संगम तीर्थ (नीलगंगा क्षेत्र)
पिशाचमोचन तीर्थ (रामघाट)
गंधर्व तीर्थ (विलुप्त)
केदार तीर्थ (विलुप्त)
चक्र तीर्थ
सोम तीर्थ
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देवप्रयाग तीर्थ (विलुप्त)
वेणी तीर्थ (विलुप्त)
योग तीर्थ (विलुप्त)
कपिलाश्रम तीर्थ (विलुप्त)
घृतकुल्या तीर्थ (विलुप्त)
मधुकुल्या तीर्थ (विलुप्त)
उसर तीर्थ (ओखलेश्वर) नारादित्या तीर्थ (विलुप्त)
केशवदित्या तीर्थ (विलुप्त)
अंगारक तीर्थ (अंगारेश्वर)
गंगेश्वर तीर्थ
ऋणमोचन तीर्थ
शक्तिभेद तीर्थ (सिद्घवट)
पापमोचन तीर्थ
प्रेतशीला तीर्थ
त्रिभुवनवंदिता तीर्थ (विलुप्त)
मंदाकिनी तीर्थ (विलुप्त)
ब्रह्म तीर्थ (विलुप्त)
अवंतिका तीर्थ शामिल हैं।
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