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कोंकण के तटीय क्षेत्र में माघ शुक्ल चतुर्थी को मनाते हैं गणेश जयंती, महाराष्ट्र में क्या कहते हैं इसे

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हमें फॉलो करें कोंकण के तटीय क्षेत्र में माघ शुक्ल चतुर्थी को मनाते हैं गणेश जयंती, महाराष्ट्र में क्या कहते हैं इसे

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 (12:32 IST)
माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को कोंकण और महाराष्ट्र के समुद्र तटीय क्षे‍त्र में भगवान गणेश की जयंती मानते हैं। चतुर्थी तिथि 01 फरवरी 2025 को सुबह 11:38 से प्रारंभ होकर अगले दिन 2 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। इस मान से दोनों दिन चतुर्थी उदय व्यापिनी रहेगी। हालांकि काल निर्णय पंचांग जो कि महाराष्ट्र और कोकणस्थ क्षेत्र में प्रचलित हैं तो वहां पर 1 फरवरी को ही चतुर्थी तिथि मानी गई है। 
 
वैसे महाराष्ट्र सहित संपूर्ण देश में भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी के दिन ही गणेश चतुर्थी यानी गणेश जयंती का महापर्व मनाया जाता है परंतु माघ शुक्ल गणेश जयंती को मुख्यतः महाराष्ट्र व कोंकण के तटीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त, मध्याह्न व्यापिनी पूर्वविद्धा चतुर्थी को भी गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है। हालांकि महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में इस चतुर्थी को माघ शुक्ल चतुर्थी, तिल कुंड चतुर्थी और वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और भगवान गणेश के बारे में पुराणों में कई रहस्यों का उल्लेख भी मिलता है, खास कर उनकी उत्पत्ति और सिर को लेकर गहरी और अद्भुत जानकारी पढ़ने को मिलती है।
 
गणपति के बारे में 10 अनसुनी रोचक बातें
1. श्री गणेश का असली नाम विनायक है। गणों के मुखिया होने के कारण उन्हें गणेश या गणपति कहते हैं।
2. गणेश जी के प्रत्येक अवतार का रंग अलग-अलग है परंतु मान्यतानुसार शरीर का मुख्य रंग लाल तथा हरा है।
3. पुराणों में गणेश जी के 64 अवतारों का वर्णन मिलता है। 
4. गणेश जी के भाई कार्तिकेय के अलावा अन्य भाइयों के नाम ये हैं- सुकेश, जलंधर, अयप्पा, भूमा, अंधक और खुजा।
5. श्री गणेश जी की बहन का नाम अशोक सुंदरी है। इसके अलावा मां ज्वालामुखी और मनसादेवी भी उनकी बहनें हैं।
6. भगवान श्री गणेश के 12 प्रमुख नाम हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन हैं।
7. गणेश जी सतयुग में सिंह, त्रेता में मयूर, द्वापर में मूषक और कलिकाल में घोड़े पर सवार बताए जाते हैं।
8. गणेश जी की पत्नियां रिद्धि और सिद्धि हैं। उनके पुत्र लाभ और शुभ तथा पोते आमोद और प्रमोद हैं। पुत्री का नाम मां संतोषी हैं।
9. गणेश जी को पौराणिक पत्रकार या लेखक भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने ही 'महाभारत' का लेखन किया था। 10. रामभक्त हनुमान जी की तरह ही गणेश जी को सभी देवताओं की शक्तियां प्राप्त हैं।

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