पराक्रम के प्रतीक बजरंग बली

हनुमान जयंती विशेष

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
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दुनिया चले न श्रीराम के बिना।
रामजी चलें न हनुमान के बिना।
पार न लगोगे श्रीराम के बिना।
राम न मिलेंगे हनुमान के बिना।।

कमजोर तो हमेशा मजबूरी के चलते विनम्र होता है लेकिन यदि शक्तिशाली व्यक्ति विनम्र है तो निश्चित ही वह बुद्धि और बल से परिपूर्ण है। डरपोक किस्म के राजा सुग्रीव के समक्ष भी हनुमानजी विनम्र बने रहते थे और सर्वशक्तिमान प्रभु श्रीराम के समक्ष भी।

राम और सुग्रीव दोनों का ही काम हनुमानजी के बिना एक पल भी चलता नहीं था फिर भी हनुमानजी विनम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर खड़े रहते थे। रावण ने हनुमानजी की विनम्रता का सम्मान नहीं किया, बल्कि उनका अपमान किया। ठीक है आप सम्मान न करो तो कोई बात नहीं लेकिन अपमान करने का अधिकार आपको किसने दिया?

इसका परिणाम रावण को भुगतना पड़ा। हनुमानजी ने लंका स्थित उसके महल को राख में मिला दिया। लोग कहते हैं कि उन्होंने पूरी लंका जला दी जबकि ऐसा नहीं है। हनुमानजी ने रावण के अपराध की सजा सिर्फ रावण को ही दी। रावण के पूरे महल को खाक कर दिया और कहा की दोबारा जब मैं आऊँगा तो तेरी जीवन लीला समाप्त होते हुए देखने ही आऊँगा।

बुद्धि और शक्ति जब क्रुद्ध होती है तो फिर उस पर किसी का भी बस नहीं चलता। जो जाने-अनजाने राम या हनुमानजी का उपहास या अपमान करते हैं वे नहीं जानते कि वे किस गर्त में गिरते जा रहे हैं।

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हमारे पास दो-दो महावीर हैं एक हैं हनुमान और दूसरे हैं वर्धमान। एक परम भक्त हैं तो दूसरे अहिंसा के पुजारी। अहिंसक हुए बगैर भक्त भी नहीं हुआ जा सकता। अजर-अमर जय हनुमान कहने मात्र से ही संकट मिट जाते हैं।

अंजनी पुत्र : हनुमान के पिता सुमेरु पर्वत के राजा केसरी थे तथा उनकी माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है।

पवन पुत्र : उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है, इसीलिए इनका नाम पवन पुत्र हुआ। उस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। मारुत अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। वैसे उनमें पवन के वेग के समान उड़ने की शक्ति होने के कारण भी यह नाम दिया गया।

हनुमान : इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की हनु (ठुड्डी) टूट गई थी, इसलिए तब से उनका नाम हनुमान हो गया।

बजरंगबली : वज्र को धारण करने वाले और वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें वज्रांगबली कहा जाने लगा। अर्थात वज्र के समान अंग वाले बलशाली। लेकिन यह शब्द ब्रज और अवधि के संपर्क में आकर बजरंग बली हो गया। बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली भी सुंदर शब्द है।

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