प्रेम के भूखे हैं नागराज

साँप बना परिवार का साथी

Webdunia
- आशीष मिश्र ा

साँप का नाम सुनते ही भय से लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन जशपुरनगर में नागलोक के नाम से विख्यात फरसाबहार विकासखंड के घुमरा गाँव में एक जहरीला नाग पिछले 10 सालों से एक किसान परिवार का सदस्य बना हुआ है। किसान दंपति उसे अपनी संतान की तरह मानते हैं। यही नहीं, सोते-जागते, खाते-पीते हर वक्त नाग उनके साथ रहता है। पढ़ने व खेलने के दौरान भी बच्चे नाग को अपने साथ रखते हैं।

इंसान हो या विषधर साँप, सब प्रेम के भूखे होते हैं। नाग का असबर के परिवार का सदस्य बनना यह सिद्ध करता है कि जहरीले नाग को भी अगर प्यार मिले, तो वह भी प्रेम के साथ परिवार का सदस्य बन सकता है।

‍ विश्व में हर साल सर्पदंश से कई जानें चली जातीं हैं। नागलोक के घुमरा गाँव में किसान असबर के घर एक नाग पिछले 10 सालों से परिवार के सदस्य के रूप में रह रहा है। नाग बच्चों के साथ चारपाई में भी सोता है। असबर का पुत्र रामसागर बताता है कि पढ़ाई करने के लिए नाग उत्साहित करता है। पढ़ाई का समय होने पर नाग स्वयं किताबों के ऊपर बैठ जाता है। बच्चे जब भोजन करते हैं, उस समय भी साँप उनके साथ होता है। अगर इस वक्त साँप को भोजन न मिले, तो वह फुँकार मारता है। यही नहीं, नाग अपने मालिक असबर या उनके बच्चों के साथ दुकान भी पहुँच जाता है। इस परिवार के अनुसार साँप से किसी को कोई खतरा नहीं है।

उसके परिवार या गाँव में अन्य किसी भी व्यक्ति को नाग ने आज तक नहीं काटा है। असबर बताता है कि 10 साल पहले गाँव के एक घर में नाग साँप का बच्चा निकला था। तब उसने उसे पकड़ लिया। नाग का बच्चा असबर को इतना प्यारा लगा कि वह उसे घर ले आया। तब से वह नाग को अपने परिवार के सदस्य की तरह पाल रहा है। घर के परिवेश में रहकर यह विषधर पूरी तरह से घरेलू हो गया है।

नागलोक क्षेत्र में पिछले 25 सालों से साँपों पर शोध कर रहे डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि नाग की प्रवृत्ति शांत होती है। साँप इंसानों के अच्छे व्यवहार पर आकर्षित होता है और उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाता। छेड़छाड़ करने पर या उसे खतरा महसूस होने पर ही उनका व्यवहार आक्रामक होता है। नागलोक में नाग की चार प्रजातियाँ मौजूद हैं। असबर के परिवार ने जहरीले साँप के प्रति संवेदनशील होकर उसे परिवार का सदस्य बनाया है, यह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि साँपों का संरक्षण जरूरी है।

कम समय तक जीते हैं सपेरों के पास : डॉ. शर्मा ने बताया कि सपेरे साँपों के विषैले दाँतों को तोड़कर उसकी विषग्रंथि अपनी सुरक्षा के लिए निकाल लेते हैं। विषग्रंथि साँपों के शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। विष साँपों को भोजन पचाने के लिए आवश्यक है। एक छोटा साँप तीन और बड़ा साँप छह माह तक बिना भोजन के जीवित रह सकता है। यही वजह है कि सपेरों के पास साँप करीब 6-8 माह तक ही जीवित रहते हैं।

एक घंटे में जा सकती है जानः सिविल सर्जन डॉ. एनसी नंदे के अनुसार नाग का जहर बेहद खतरनाक होता है। इसके डसने पर यदि पीड़ित को उपचार नहीं मिला, तो महज एक घंटे के भीतर उसकी जान जा सकती है।

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