माँ नर्मदा आस्था का केन्द्र

- लखन घनघोरिया

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माँ नर्मदा आस्था का केन्द्र है। यह ऐसी नदी के रूप में है जिनके दर्शन मात्र से पुण्य की अनुभूति होती है जीवन के हर संघर्ष के समय मुझे ऊर्जा मिली है जो माँ नर्मदा की ही कृपा है। यह कहना है पूर्व क्षेत्र के विधायक लखन घनघोरिया का जो 15 वर्षों से प्रतिदिन नर्मदा दर्शन करने जा रहे हैं।

घनघोरिया को माँ के प्रताप की अनुभूति हुई है। वे जब भी बड़ी-बड़ी समस्याओं से गुजरे तो मातारानी उन्हें समस्याओं से निजात दिलातीं गईं। उनकी कृपा से जनसेवा का संकल्प लिया है वो उन्हीं की कृपा से है। दर्शन करने से मानसिक शांति मिलती है और नए कार्यों की प्रेरणा मिलती है। नर्मदाजी की भक्ति का अलग ही आनंद है। नर्मदा के महत्व से सभी परिचित है फिर भी प्रदूषण में कमी नहीं आ रही। कहीं न कही भक्तों से भी चूक हो रही है। जो भविष्य में विकराल रूप ले सकती है।

नर्मदा है सर्वशक्तिमान : जो शक्ति माँ नर्मदा में हैं वो किसी देवी-देवता में नहीं है। मेरा तो जन्म ही कठोतिया गाँव (नंदकेश्वर) में हुआ था। जो अब डूब क्षेत्र में है। जब 12-13 साल का था तब से प्रतिदिन नर्मदाजी का दर्शन कर रहा हूँ। यह कहना है जेडीए अध्यक्ष विशाल पचौरी का। उन्होंने कहा कि मैं तो वनग्राम में रहने वाला हूँ लेकिन माँ के आशीर्वाद से हर राह में सफलता मिली।

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राजनीति से जुड़ा तो उच्च पद पर पहुँचा। एक बार रात में जब मैं शहडोल से आ रहा था तो तेज बारिश हो रही थी। रास्ते में सभी दुकानें बंद थी। पूजन के लिए अगरबत्ती और माचिस नहीं मिली। जब मैं तट पर पहुँचा तो गीले तखत पर अगरबत्ती का पैकेट और माचिस सूखी रखी थी। तब मैं पूजन कर वापस घर आया। अगर नर्मदा दर्शन रोज किया जाए तो हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।

बिन मांगे सब देती हैं माँ : नर्मदा को जीवनदायिनी कहा जाता है जो लोगों के दुख दूर करती हैं। माँ के दरबार में जो भी सच्चे मन से जाता है उसे माँ सब देती है। मेरा छोटा भाई तो कई वर्षों से माँ नर्मदा के दरबार में जा रहा है। लेकिन मैं अभी पिछले आठ महीनों से नर्मदाजी की सेवा में लगा हूँ। यह कहना है कि महापौर प्रभात साहू का।

उन्होंने कहा कि मैं जब से माँ नर्मदा के चरणों में गया हूँ मुझमें सात्विक परिवर्तन आया है। इच्छाशक्ति बढ़ी है। लेकिन यह देखकर दुख होता है कि लोग नर्मदा तटों में जाकर गंदगी फैला रहे हैं। इसे रोकने के लिए सारे समाज को आगे आना होगा क्योंकि यह सभी की जीवनदायिनी है। प्रशासन के निर्देश पर जनता को ही सहयोग करना होगा। यह खुशी की बात है कि नर्मदा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अनेक सामाजिक संगठन भी आगे आए है।

भगवती के चरणों की दया : माँ नर्मदा मोक्षदायिनी है। उनके दर्शन करने से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। मेरे जैसा सामान्य व्यक्ति भी उनके चरणों की दया पर चल रहा है। यह कहना है जबलपुर सांसद राकेश सिंह का। वे कहते हैं कि जिसकी भी आस्था माँ के प्रति है वो निर्दयी नहीं हो सकता। जबसे गुरुदेव श्रीबाबाश्री की कृपा हुई है तब से माँ नर्मदा को ज्यादा अच्छे से समझ पाया हूँ।

मैं जब भी शहर में रहता हूँ तो नर्मदाजी के दर्शन करने जरूर जाता हूँ। शहर के लोग भाग्यशाली हैं क्योंकि यहाँ कई संत तपस्या करने आए। नर्मदा ही ऐसी नदी है जिनकी परिक्रमा होती है। नर्मदा में बढ़ते प्रदूषण पर सिंह कहते हैं कि ये लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वो दया तो पा रहे है लेकिन प्रदूषण के प्रति गंभीर नहीं है। अभी देश में जो नदियाँ प्रदूषण मुक्त है उनमें नर्मदा का विशेष महत्व है।

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