श्रद्धा एवं विश्वास का पर्व : नाग पंचमी

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भारत देश में नाग पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है। श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व परंपरागत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। इस दिन नाग दर्शन का विशेष माहात्म्य है।

इन दिनों सा ँप मारना मना है। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।

कैसे करें नाग पूजन :
* प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएँ।
* पश्चात स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
* पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएँ। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है।
  पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।      

* इसके बाद दीवाल पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवाल पर घर जैसा बनाते हैं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाते हैं।
* कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पाँच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं।
* सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ा आते हैं।
* और फिर दीवाल पर बनाए गए नागदेवता की दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाते हैं।
* पश्चात आरती कर कथा श्रवण करना चाहिए।

नागपंचमी के दिन क्या करें :
* इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
* बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
* नागदेव को दूध भी पिलाना चाहिए।
* नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
* ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्पविष दूर होता है।

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