संजा लोकपर्व : यु‍वतियों का मनभावन त्योहार

Webdunia
गुरुवार, 11 सितम्बर 2014 (16:16 IST)
गणेश विसर्जन के दूसरे दिन यानी पूर्णिमा के दिन से मालवा की किशोरियों की सखी-सहेली संजा मायके आती है। योग्य वर की कामना से किशोरियां सृजन और विसर्जन के इस पर्व को श्राद्घ पक्ष के सोलह दिन तक मनाती हैं। कहा जाता है कि पार्वती ने शिव को पाने के लिए यह व्रत किया था।
 

 
गोबर से उकेरी और फूलों से सजी आकृतियों को देखकर लड़कियों के मन की प्रसन्नता देखते ही बनती है। इन दिनों उनके सुमधुर कंठों से सहज ही फूट पड़ेंगे संजा गीत -
 
छोटी-सी गाड़ी रुड़कती जाए रुड़कती जाए,
उनमें बैठ्या संजाबई संजाबई।
घाघरों घमकाता जाए चूड़लो छमकाता जाए,
बईजी की नथनी झोला खाए....।
 
इन 16 दिनों में बालिकाएं घर-आंगन की दीवारों पर गोबर से आकृतियां बनाएंगी। आकृतियों को फूल-पत्तियों तथा चमकीली पन्नियों व रंग-बिरंगे कागज आदि से सजाया जाता है। गुलतेवड़ी, गेंदा, गुलबास के फूलों से सजती है संजा। संजा में चांद-सूरज हर दिन बनते हैं तो अन्य आकृतियां हर दिन क्रमानुसार बदलती हैं। 
 
इस अवसर पर पहले दिन पूनम का पाटला बनता है तो बीज अर्थात दूज का बिजौरा बनता है।
 
तीसरे दिन घेवर, चौथे दिन चौपड़, पांचवे दिन पांचे या पांच कुंवारे बनाए जाते हैं।
 
छठे दिन छबड़ी, सातवें दिन सातिया यानी स्वस्तिक, आठवें दिन आठ पंखड़ी का फूल, नौवें दिन डोकरा-डोकरी उसके बाद वंदनवार, केल, जलेबी की जोड़ आदि बनने के बाद तेरहवें दिन शुरू होता है किलाकोट बनना, जिसमें 12 दिन बनाई गई आकृतियां भी होती हैं।
 
श्राद्घ पक्ष के सोलह दिनों में सांझ होते ही दीपक प्रज्ज्वलित कर लड़कियां संजा का स्वागत गीत-पूजा-आरती इत्यादि से कर प्रसाद बांटती हैं। संजा की आरती में किशोरियां आलाप लेंगी - पेली आरती राई रमझोर....
 
प्रसाद वितरण के पूर्व सखियों को उसे ताड़ना या पहचानना आवश्यक है, तभी प्रसाद वितरण होता है। संजा बनाने वाली लड़कियों के भाई शरारतपूर्वक प्रसाद को उजागर करने की कोशिश भी करते हैं, जिससे मस्ती का माहौल भी होता है। कभी-कभी प्रसाद नहीं पहचाने जाने पर हिंट भी दिया जाता है कि प्रसाद नमकीन है या मीठा। 
 
श्राद्घ पक्ष की समाप्ति पर ढोल-ताशे के साथ खुशियां समेटकर नई नवेली बन्नी की तरह बिदा होती है संजा। 

 
Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Weekly Calendar 2024 : नए सप्ताह के सर्वश्रेष्‍ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग मई 2024 में

Aaj Ka Rashifal: आज किसे मिलेंगे शुभ समाचार और होगा धनलाभ, जानें 19 मई का राशिफल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व