चैत्र कृष्ण एकादशी से बढ़ जाता है गणगौर का अधिक महत्व, जानिए इस अनूठे पर्व पर कैसे करें शिव-गौरी का पूजन

Webdunia
चैत्र मास में मनाया जाने वाला गणगौर लोकपर्व होने के साथ-साथ रंगबिरंगी संस्कृति का अनूठा उत्सव है। चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जानेवाला यह पर्व विशेष तौर पर केवल महिलाओं के लिए ही होता है।
 
भारत के कई स्थानों पर चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल तृतीया तक गणगौर पूजन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि इ स दिन बांस की टोकरी में जवारे बोने की परंपरा कई गांवों, ग्रामीण अंचलों में आज भी बदस्तूर जारी है। शिव-पार्वती हमारे आराध्य हैं, पूज्य हैं।

इस दिन भगवान शिव ने पार्वतीजी को तथा पार्वतीजी ने समस्त स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। इस दिन सुहागिनें दोपहर तक व्रत रखती हैं। महिलाओं नाच-गाकर, पूजा-पाठ कर हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाती हैं।
 

ALSO READ: सुहागिनों का पवित्र पर्व गणगौर शुरू, 8 अप्रैल को मनेगी गणगौर तीज, होगा शिव-पार्वती का पूजन
 
हिन्दू समाज में चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है। आइए जानें कैसे करें गणगौर व्रत... 
 
* चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोना चाहिए।
 
* इस दिन से विसर्जन तक व्रती को एकासना (एक समय भोजन) रखना चाहिए।
 
* इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव या ईसर का रूप माना जाता है।
 
* जब तक गौरीजी का विसर्जन नहीं हो जाता (करीब आठ दिन) तब तक प्रतिदिन दोनों समय गौरीजी की विधि-विधान से पूजा कर उन्हें भोग लगाना चाहिए।
 
* गौरीजी की इस स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं जैसे कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघी, शीशा, काजल आदि चढ़ाई जाती हैं।
 
* सुहाग की सामग्री को चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि से विधिपूर्वक पूजन कर गौरी को अर्पण किया जाता है।
 
* इसके पश्चात गौरीजी को भोग लगाया जाता है।
 
* भोग के बाद गौरीजी की कथा कही जाती है।
 
* कथा सुनने के बाद गौरीजी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहित स्त्रियों को अपनी मांग भरनी चाहिए।
 
* कुंआरी कन्याओं को चाहिए कि वे गौरीजी को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
 
* चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) को गौरीजी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं।
 
* चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराकर, उन्हें सुंदर वस्त्राभूषण पहनाकर डोला या पालने में बिठाएं।
 
* इसी दिन शाम को गाजे-बाजे से नाचते-गाते हुए महिलाएं और पुरुष भी एक समारोह या एक शोभायात्रा के रूप में गौरी-शिव को नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर विसर्जित करें।
 
* इसी दिन शाम को उपवास भी छोड़ा जाता है।

ALSO READ: आपने नहीं पढ़ी होगी गणगौर माता की यह अनूठी कहानी, देती है सदा सुहागिन का वरदान

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Chankya niti : करोड़पति बना देगा इन 5 चीजों का त्याग, जीवन भर सफलता चूमेगी कदम

Mohini ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत का प्रारंभ और पारण जानें

Lakshmi prapti ke achuk upay: यदि घर की महिला रोज ये काम करें तो घर में मां लक्ष्मी का होगा प्रवेश

Mohini ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

Chardham Yatra: चारधाम यात्रा पर CM पुष्कर सिंह धामी ने संभाला मोर्चा, सुधरने लगे हालात

अगला लेख