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तमिल त्योहार आदि पेरुक्कू क्या है, क्यों मनाया जाता है?

WD Feature Desk
शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 (09:16 IST)
Aadi Perukku Harvest and Prosperity Festival: आदि पेरुक्कू, जिसे पथिनेत्तम पेरुक्कू के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु का एक महत्वपूर्ण पारंपरिक त्योहार है। यह तमिल कैलेंडर के 'आदि' महीने के 18वें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत में पड़ता है। इस साल, आदि पेरुक्कू 01 अगस्त 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा तथा कैलेंडर के मतांतर के चलते 02 अगस्त 2025 को भी यह पर्व मनाए जाने की उम्मीद है। बताया गया है, जो कि तमिल पंचांग में तिथियों के सूक्ष्म अंतर के कारण हो सकता है।ALSO READ: रक्षा बंधन पर विधिवत राखी बांधने की संपूर्ण विधि
 
आदि पेरुक्कू क्या है? 'पेरुक्कू' शब्द का तमिल में अर्थ है 'बढ़ना' या 'वृद्धि'। यह त्योहार मानसून के मौसम में नदियों और अन्य जल स्रोतों में जल स्तर में होने वाली वृद्धि का उत्सव है। यह प्रकृति, विशेषकर जल-निकायों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पर्व है, जो जीवन और कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह उत्सव मुख्य रूप से कावेरी नदी के किनारे मनाया जाता है, जिसे तमिलनाडु की जीवन रेखा माना जाता है। महिलाएं और परिवार नदी के तटों पर इकट्ठा होते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष पकवानों का आनंद लेते हैं।
 
आदि पेरुक्कू क्यों मनाया जाता है? आदि पेरुक्कू मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण और मान्यताएं हैं:
1. जल देवताओं के प्रति आभार: यह त्योहार मानसून की शुरुआत में नदियों, झीलों और तालाबों में बढ़ते जल स्तर के लिए जल देवताओं (विशेष रूप से देवी कावेरी और वर्षा के देवता) के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। जल को जीवन का स्रोत और एक बहुमूल्य उपहार माना जाता है।
 
2. कृषि का आह्वान: आदि का महीना तमिलनाडु में कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। नदियों में पर्याप्त पानी होने से किसान बुवाई और रोपण की तैयारी शुरू करते हैं। यह त्योहार एक अच्छी फसल और समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का समय होता है।
 
3. समृद्धि और उर्वरता: यह पर्व प्रकृति की उर्वरता और जीवन निर्वाह के गुणों का सम्मान करता है। लोग, विशेषकर महिलाएं, अपने परिवार की समृद्धि, धन और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। यह पर्व स्त्री ऊर्जा और प्रकृति की जननी शक्ति का भी सम्मान करता है।
4. पारिवारिक बंधन और सामुदायिक सद्भाव: इस दिन परिवार और दोस्त नदियों के किनारे इकट्ठा होते हैं, विशेष भोजन बनाते है और साझा करते हैं। यह त्योहार सामुदायिक भावना और पारंपरिक मूल्यों को मजबूत करता है।
 
5. नए उद्यमों के लिए शुभ: आदि पेरुक्कू को नए उद्यमों, जैसे शादी, गृह-प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों के लिए भी एक शुभ समय माना जाता है। इस दिन सोने की खरीददारी को भी बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कावेरी नदी के प्रति आभार व्यक्त करने और कृषि समृद्धि की कामना का यह पर्व आपकी किस्मत चमका सकता है।
 
पूजा विधि और परंपराएं: 
इस दिन महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा धारण करती हैं। 
वे नदियों में डुबकी लगाती हैं।
नदी में दीपक प्रवाहित करती हैं।
फूल और फल चढ़ाती हैं। 
कुछ स्थानों पर 'मुलैपारी' यानी नौ प्रकार के अनाजों के अंकुरण की रस्म भी निभाई जाती है। कुल मिलाकर, आदि पेरुक्कू एक ऐसा त्योहार है जो प्रकृति के प्रति सम्मान, जल के महत्व और आने वाले वर्ष में समृद्धि की आशा को दर्शाता है।
 
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