आशा द्वितीया 2022 : आसों दोज का व्रत क्यों रखा जाता है, जानिए

Webdunia
रविवार, 17 अप्रैल 2022 (14:25 IST)
Aasmai puja
Aasmai dwitiya puja : आसमाई या आसों दोज का पर्व वैशाख कृष्ण पक्ष की दूज के दिन मनाया जाता है। उत्तर भारत में खासकर बुन्देलखण्ड में आसों दूज का खास महत्व रहता है।
 
 
क्यों रखते हैं व्रत : मान्यता के अनुसार यह व्रत कार्य की सिद्धि के लिए किया जाता है। यह भी कहा जाता है कि जब हमारी कोई इच्छापूर्ण नहीं होती है तो आसामाई को प्रसन्न करके जीवन को सुंदर बनाया जाता है। फिर जीवनभर हर साल उनकी पूजा करना होगी है। यह व्रत वे महिलाएं करती हैं जिसने संतात होती हैं। इस दिन भोजन में नमक का प्रयोग वर्जित होता है। 
 
पूजा की विधि :
 
1. अच्‍छे मीठे पान पर सफेद चंदन से आसामाई की मूर्ति बनाकर उनके समक्ष 4 कौड़ियों को रखकर पूजा की जाती है।
 
2. इसके बाद चौक पूरकर कलश स्थापित करते हैं। 
 
3. चौक के पास ही गोटियों वाला मांगलिक सूत्र रखते हैं।
 
4. षोडोषपचार पूजा करके भोग लगाते हैं। 
 
5. भोग के लिए 7 आसें एक प्रकार बनाई जाती हैं। इसे व्रत करने वाली स्त्री ही खाती है।
 
6. फिर भोग लगाते समय इस मांगलिक सूत्र को धारण करते हैं।
 
7. इसके बाद घर का सबसे छोटा बच्चा कौड़ियों को पटिये पर डालता है। 
 
8. स्त्री उन कौड़ियों को अपने पास रखती हैं और हर वर्ष इनकी पूजा करती है
 
9. अंत में भोग सभी को प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है।
 
10. फिर आसमाई की कथा की जाती है या सुनी जाती है।
 
11. अंत में व्रत का पारण किया जाता है।
 
 
पूजा सामग्री :
 
1. पान का पत्ता
2. गोपी चंदन
3. लकड़ी का पाट
4. आसामाई की तस्वीर।
5. कलश (मिट्टी)
6. रोली
7. अक्षत
8. धूप
9. दीप
10. घी
11. नैवेद्य (हलवा पूड़ी)
12. सूखा आटा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या होता है मलमास, जानें कब तक रहेगा खरमास

दत्तात्रेय जयंती कब है, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

बांग्लादेश में कितने हैं शक्तिपीठ और हिंदुओं के खास मंदिर एवं तीर्थ?

Year Ender 2024: वर्ष 2024 में चर्चा में रहे हिंदुओं के ये खास मंदिर

साल 2025 में कब-कब पड़ेगा प्रदोष, जानें पूरे साल की लिस्ट

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 14 दिसंबर क्या लेकर आया है 12 राशियों के लिए, पढ़ें अपना राशिफल

14 दिसंबर 2024 : आपका जन्मदिन

14 दिसंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म का महाकुंभ: प्रयाग कुंभ मेले का इतिहास

महाकुंभ 2025, नोट करें शाही स्नान की सही तिथियां

अगला लेख