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आज आषाढ़ कृष्ण आशा दशमी, इन 10 बातों से जानिए दिन का महत्व

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आज आशा दशमी पर्व है। इस दिन देवी पार्वती का भी पूजन किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से शरीर हमेशा निरोगी रहता है। मन शुद्ध रहता है तथा असाध्य रोगों से भी मुक्ति देने वाला है। वह व्रत अगर कोई भी कन्या करती है तो इसके प्रभाव से श्रेष्ठ वर की प्राप्ति होती है। अगर किसी महिला का पति यात्रा अथवा प्रवास के दौरान जल्दी घर लौट कर नहीं आता है तब यह व्रत करके वह अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है। 
 
1. आशा दशमी व्रतधारी को प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं का पूजन करके रात्रि में पुष्प, अलक तथा चंदन आदि से 10 आशा देवियों की पूजा करनी चाहिए। 
 
2. आशा दशमी व्रत में 
* ऐन्द्री, 
* आग्रेयी, 
* याम्या, 
* नैऋति, 
* वारुणी, 
* वाल्व्या, 
* सौम्या, 
* ऐशनी, 
* अध्: 
* ब्राह्मी 
इन दस आशा देवियों का पूजन किया जाता है।
 
3. आशा दशमी व्रत का महत्व भगवान कृष्ण ने पार्थ को बताया था। 
 
4. आशा दशमी व्रत का प्रारंभ महाभारत काल से माना जाता है। 
 
5. इस व्रत को करने वाले हर मनुष्‍य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए। 
 
6. दसों दिशाओं के अधिपतियों की प्रतिमा, उनके वाहन तथा अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कर दस दिशा देवियों के रूप में मानकर पूजन करना चाहिए।
 
7. प्रार्थना मंत्र- 
 
'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा:।
भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति।।'
 
अर्थ- 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों। मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीष दें।'
 
8. दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप दीप और फल आदि समर्पित करना चाहिए।
 
9. तत्पश्चात ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करना चहिए।
 
10. आशा दशमी व्रत हर महीने की दशमी तिथि को करना चाहिए। आशा दशमी का व्रत के करने से सभी आशाएं पूर्ण हो जाती हैं।


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