बछ बारस के दिन अवश्य पढ़ें गोवत्स द्वादशी की यह पौराणिक कथा

Webdunia
बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। 
 
उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम 'सीता' और दूसरी का नाम 'गीता' था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। 
 
राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछड़े से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी। 
 
यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछड़ा होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। 
 
सीता ने उसी दिन गाय के बछड़े को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई। 
 
उसी समय आकाशवाणी हुई- 'हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछड़े को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल 'गोवत्स द्वादशी' है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछड़े की पूजा करें। 
 
इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछड़ा भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।

ALSO READ: गौमाता की पूजा का पर्व बछ बारस, देता है संतान को लंबी उम्र और परिवार में खुशहाली, जानिए पौराणिक महत्व
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

ईस्टर संडे का क्या है महत्व, क्यों मनाते हैं इसे?

50 साल बाद सूर्य गोचर से बना शुभ चतुर्ग्रही योग, 3 राशियों के पलट जाएंगे किस्मत के सितारे

लाल किताब के अनुसार किस्मत का ताला खोलने के क्या है अचूक उपाय

गोल्ड पहन रखा है तो हो जाएं सावधान, पहले जान लें कि इसके क्या है नुकसान और सावधानियां

जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर स्थित नीलचक्र और ध्वज का रहस्य जानकर चौंक जाएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

कैलाश मानसरोवर यात्रा होगी फिर शुरू, जानिए कितना होगा खर्चा

20 अप्रैल 2025 : आपका जन्मदिन

20 अप्रैल 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

12 साल बाद बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल

बुद्ध जयंती कब है, गौतम सिद्धार्थ नेपाली थे या भारतीय?

अगला लेख