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क्यों किया जाता है बड़ा महादेव पूजन, जानें महत्व, पूजा विधि और इस व्रत के बारे में खास जानकारी

WD Feature Desk
सोमवार, 9 जून 2025 (11:35 IST)
Bada mahadev puja :  हर शिवभक्त सावन मास, सोमवार तथा बड़ा महादेव पूजन के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। कई शिव मंदिरों में 'बड़ा महादेव' के नाम से विशेष अभिषेक और अनुष्ठान किए जाते हैं। यह पूजन आपको भगवान शिव के करीब लाता है और उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन बड़ा महादेव का पूजन 9 जून 2025, दिन सोमवार को किया जा रहा है। यहां पढ़ें बड़ा महादेव पूजन विधि, महत्व और खास जानकारी...ALSO READ: बड़ा महादेव जाकर पूजन करने का क्या है महत्व, कौन सा बोलें मंत्र?
 
बड़ा महादेव पूजन का महत्व: 'बड़ा महादेव' से तात्पर्य भगवान शिव के विशाल या सर्वव्यापी स्वरूप से है, जिनकी पूजा से समस्त कष्टों का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पूजन भगवान शिव की असीम शक्ति और कल्याणकारी स्वरूप को समर्पित है। और मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थल में बड़ा महादेव में मंदिर स्थित हैं, जहां प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर बड़ा महादेव पूजन किया जाता है। 
 
- समस्त कष्टों का निवारण: भगवान शिव को 'भोलेनाथ' कहा जाता है, जो शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी पूजा से जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियां, रोग, दोष और बाधाएं दूर होती हैं।
 
- ग्रह दोष शांति: भगवान शिव ग्रहों के अधिपति भी माने जाते हैं। उनकी पूजा से कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रह दोष (जैसे शनि, राहु, केतु) के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
 
- मोक्ष और शांति: शिव की आराधना से मानसिक शांति मिलती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
- काल मृत्यु का भय दूर: महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शिव पूजन अकाल मृत्यु के भय को दूर करता है और दीर्घायु प्रदान करता है।
 
- मनोकामना पूर्ति: भक्त अपनी विभिन्न मनोकामनाओं जैसे संतान प्राप्ति, धन-धान्य, उत्तम स्वास्थ्य, विवाह या करियर में सफलता के लिए महादेव का पूजन करते हैं।
 
पूजा विधि: यह पूजा सामान्यतः सोमवार को या बड़ा महादेव पूजन के दिन की जाती है।
1. प्रातःकाल स्नान और संकल्प:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर भगवान शिव के सामने अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत और पूजन का संकल्प लें।
 
2. शिवलिंग/शिव प्रतिमा की स्थापना:
- घर में या मंदिर में शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। यदि शिवलिंग है तो उसे पूजा में प्राथमिकता दें।
 
3. अभिषेक/ रुद्राभिषेक:
- यह 'बड़ा महादेव पूजन' का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।
- जल से अभिषेक: सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल की धारा अर्पित करें।
- पंचामृत अभिषेक: इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण यानी पंचामृत से अभिषेक करें।
- पुनः जल से अभिषेक: पंचामृत के बाद फिर से शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- अन्य द्रव्य: आप अपनी सामर्थ्य और इच्छा अनुसार गन्ने का रस, चंदन का जल, इत्र, केसर मिश्रित दूध आदि से भी अभिषेक कर सकते हैं।
- अभिषेक करते समय 'ॐ नमः शिवाय' या महामृत्युंजय मंत्र का जाप लगातार करते रहें।
 
4. श्रृंगार और अर्पण:
- अभिषेक के बाद शिवलिंग को पोंछकर साफ करें।
- चंदन: शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।
- भस्म: भस्म या विभूति अर्पित करें।
- फूल और माला: भगवान शिव को 3 पत्तों वाला बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, शमी के पत्ते, और सफेद पुष्प अत्यंत प्रिय हैं। इनकी माला बनाकर भी अर्पित कर सकते हैं।
 
5. धूप, दीप और नैवेद्य:
- घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती करें।
- भोलेनाथ को मिठाई, फल, भांग, धतूरा, या मौसमी फलों का भोग लगाएं। शिव जी को अक्सर ठंडाई और भांग का भोग लगाया जाता है।
 
6. मंत्र जाप और पाठ:
- 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र, या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
- आप अपनी इच्छानुसार शिव पुराण या शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
 
7. कथा और आरती:
- शिव पूजन के बाद शिव कथा पढ़ें या सुनें।
- अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। पूजा पूर्ण होने के बाद प्रसाद अर्पित करें।
 
इस व्रत के बारे में खास जानकारी:
 
- सोमवार को महत्व: चूंकि सोमवार भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए इस दिन किया गया 'बड़ा महादेव पूजन' विशेष फलदायी होता है।
 
- निर्जला/ फलाहार: भक्त अपनी श्रद्धा और शारीरिक क्षमता अनुसार निर्जला या फलाहारी यानी केवल फल खाकर व्रत रखते हैं।
 
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व: गर्मी के मौसम में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है, क्योंकि भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था, जिससे उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी थी। जल चढ़ाने से उन्हें शीतलता मिलती है।
 
- बेलपत्र का महत्व: बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। कहा जाता है कि बेलपत्र की जड़ में स्वयं शिव का वास होता है। बेलपत्र पर 'ॐ नमः शिवाय' लिखकर चढ़ाना बहुत शुभ होता है।
 
- रुद्राक्ष धारण: शिव पूजन के बाद रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि रुद्राक्ष शिव का ही स्वरूप है।
 
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