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भौम प्रदोष की पूजा कैसे करें, क्या कहती है पौराणिक कथा, क्या मिलेगा लाभ

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इस वर्ष मंगल या भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Fast) 15 मार्च को है। हिन्दू धर्म में प्रदोष तिथि का बहुत महत्व माना गया है। यहां पढ़ें कैसे करें पूजा, पौराणिक कथा तथा प्रदोष व्रत के लाभ... 

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि-Pradosh Vrat 2022 Puja Vidhi
 
- त्रयोदशी तिथि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ धुले वस्त्र धारण करें।
- भगवान भोलेनाथ तथा बजरंगबली का नियमित पूजन कर लें। 
- शिव जी के ध्यान तथा मंत्र जाप में समय व्यतीत करें।
- पुन: शाम के समय में शुभ मुहूर्त का शिव जी और हनुमान जी की पूजा करें। 
- भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। 
- उनको चंदन अर्पित करें। 
- उनकी प्रिय चीजें गाय का दूध, भांग, धतूरा, बिल्वपत्र, शहद आदि अर्पित कर दें। 
- पूजन के समय 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का निरंतर उच्चारण करें।
- इस दिन पूरे समय व्रत रखें। 
- सिर्फ फलाहार कर सकते हैं। 
 
पौराणिक कथा-Pradosh Vrat Katha
 
इसकी कथा के अनुसार एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज।
 
वेशधारी साधु हनुमान जी बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी। साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।
 
वेशधारी साधु हनुमान जी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।
 
पूजन के लाभ-pradosh Vrat ke labh
 
- भौम प्रदोष के दिन हनुमान जी की आराधना करने वाले भक्त में आत्मविश्वास आता है तथा तेज की प्राप्ति होती हैं।
 
- मंगल भौम प्रदोष का दिन शनि साढ़ेसाती, मंगल दोष निवारण के लिए विशेष मायने रखता है।
 
- यह व्रत कर्ज तथा ऋण मुक्ति के लिए सबसे अधिक खास है। 
 
- मंगल का दिन हनुमान पूजन के लिए अति विशेष माना गया है। 
 
- यदि मंगलवार को प्रदोष हो तो यह दिन अतिशुभ माना जाता है, क्योंकि प्रदोष के देवता भगवान शिव है। 
 
- इस दिन शिव जी का पूजन करके उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जाती है। 
 
- हनुमान जी और मंगल देव की आराधना से मंगल ग्रह दोष शांत होता है। 
 
Bhaum Pradosh Vrat
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