bhishma ashtami 2020 : इच्छामृत्यु प्राप्त भीष्म पितामह की मृत्यु के 5 रहस्य

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 1 फ़रवरी 2020 (12:23 IST)
पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से इलानंदन पुरुरवा का जन्म हुआ। पुरुरवा से आयु, आयु से राजा नहुष और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए। ययाति से पुरु हुए। पुरु के वंश में भरत और भरत के कुल में राजा कुरु हुए। जम्बूद्वीप के महान सम्राट कुरु, कुरु के वंश में आगे चलकर राजा प्रतीप हुए जिनके दूसरे पुत्र थे शांतनु। शांतनु का बड़ा भाई बचपन में ही शांत हो गया था। शांतनु के गंगा से देवव्रत (भीष्म) हुए। भीष्म ने ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ली थी इसलिए यह वंश आगे नहीं चल सका। भीष्म अंतिम कौरव थे। आओ जानते हैं भीष्म की मृत्यु के 5 रहस्य।
 
 
1.इस तरह मिला इच्‍छा मृत्यु का वरदान : गंगा के स्वर्ग चले जाने के बाद शांतनु को निषाद कन्या सत्यवती से प्रेम हो गया। वे उसके प्रेम में तड़पते थे। सत्यवती ने शांतनु से विवाह करने के लिए भीष्म के समक्ष अपने पुत्रों को ही हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठेने की शर्त रखी तब भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की और सत्यवती को लेकर राजमहल आ गए।
 
 
शांतनु प्रसन्न होकर देवव्रत से कहते हैं, 'हे पुत्र! तूने पितृभक्ति के वशीभूत होकर ऐसी कठिन प्रतिज्ञा की है। तेरी इस पितृभक्ति से प्रसन्न होकर मैं तुझे वरदान देता हूं कि तेरी मृत्यु तेरी इच्छा से ही होगी। तेरी इस प्रकार की प्रतिज्ञा करने के कारण तू 'भीष्म' कहलाएगा और तेरी प्रतिज्ञा भीष्म प्रतिज्ञा के नाम से सदैव प्रख्यात रहेगी।'

 
2.पांडवों को बताया मृत्यु का रहस्य : महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह कौरवों की तरफ से सेनापति थे। कुरुक्षेत्र का युद्ध आरंभ होने पर प्रधान सेनापति की हैसियत से भीष्म ने 10 दिन तक घोर युद्ध किया था। दसवें ही दिन इच्छामृत्यु प्राप्त भीष्म द्वारा पांडवों के विनय पर अपनी मृत्यु का रहस्य बता देते हैं और तब इस नीति के तरह युद्ध में भीष्म के सामने शिखंडी को उतारा जाता है। प्रतिज्ञा अनुसार भीष्म किसी स्त्री, वेश्या या नपुंसक व्यक्ति पर शस्त्र नहीं उठाते हैं।

 
3.शिखंडी की आड़ में अर्जुन ने चलाए तीर : तब शिखंडी के पीछे खड़े रहकर भीष्म को अर्जुन तीरों से छेद देते हैं। वे कराहते हुए नीचे गिर पड़ते हैं। जब भीष्म की गर्दन लटक जाती है तब वे अपने बंधु-बांधवों और वीर सैनिकों को देखते हुए अर्जुन से कहते हैं, 'बेटा, तुम तो क्षत्रिय धर्म के विद्वान हो। क्या तुम मुझे उपयुक्त तकिया दे सकते हो?' आज्ञा पाते ही अर्जुन ने आंखों में आंसू लिए उनको अभिवादन कर भीष्म को बड़ी तेजी से ऐसे 3 बाण मारे, जो उनके ललाट को छेदते हुए पृथ्वी में जा लगे। बस, इस तरह सिर को सिरहाना मिल जाता है। इन बाणों का आधार मिल जाने से सिर के लटकते रहने की पीड़ा जाती रही।
 
 
4.युधिष्ठिर को दिया उपदेश : शरशय्या पर लेटने के बाद भी भीष्म प्राण नहीं त्यागते हैं। भीष्म यह भलीभांति जानते थे कि सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागने पर आत्मा को सद्गति मिलती है और वे पुन: अपने लोक जाकर मुक्त हो जाएंगे इसीलिए वे सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते हैं। भीष्म के शरशय्या पर लेट जाने के बाद युद्ध और 8 दिन चला।
 
 
भीष्म यद्यपि शरशय्या पर पड़े हुए थे फिर भी उन्होंने श्रीकृष्ण के कहने से युद्ध के बाद युधिष्ठिर का शोक दूर करने के लिए राजधर्म, मोक्षधर्म और आपद्धर्म आदि का मूल्यवान उपदेश बड़े विस्तार के साथ दिया। इस उपदेश को सुनने से युधिष्ठिर के मन से ग्लानि और पश्‍चाताप दूर हो जाता है। यह उपदेश ही भीष्म नीति के नाम से जाना जाता है।
 
 
5. माघ शुक्ल की अष्टमी को त्यागे प्राण : करीब 58 दिनों तक मृत्यु शैया पर लेटे रहने के बाद जब सूर्य उत्तरायण हो गया तब माघ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म पितामह ने अपने शरीर को छोड़ा था, इसीलिए यह दिन उनका निर्वाण दिवस है।
 
 
सूर्य के उत्तरायण होने पर युधिष्ठिर आदि सगे-संबंधी, पुरोहित और अन्यान्य लोग भीष्म के पास पहुंचते हैं। उन सबसे पितामह ने कहा कि इस शरशय्या पर मुझे 58 दिन हो गए हैं। मेरे भाग्य से माघ महीने का शुक्ल पक्ष आ गया। अब मैं शरीर त्यागना चाहता हूं। इसके पश्चात उन्होंने सब लोगों से प्रेमपूर्वक विदा मांगकर शरीर त्याग दिया। सभी लोग भीष्म को याद कर रोने लगे। युधिष्ठिर तथा पांडवों ने पितामह के शरविद्ध शव को चंदन की चिता पर रखा तथा दाह-संस्कार किया। कहते हैं कि भीष्म 150 वर्ष जीकर निर्वाण को प्राप्त हुए।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या है बंगाल में महानवमी पर होने वाले धुनुची नृत्य का धार्मिक और पौराणिक महत्व

Sharadiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के 10 चमत्कारिक उपाय: जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए

Dussehra 2025: दशहरा विजयादशमी कब है, शमी, अपराजिता देवी और शस्त्र पूजा का मुहूर्त क्या रहेगा?

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी की 10 खास बातें

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी के दिन करें 5 अचूक उपाय, पूरे वर्ष रहेगी खुशहाली

सभी देखें

धर्म संसार

29 September Birthday: आपको 29 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 29 सितंबर, 2025: सोमवार का पंचांग और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (28 सितंबर, 2025)

28 September Birthday: आपको 28 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 28 सितंबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

अगला लेख