भुवनेश्वरी जयंती : माता भुवनेश्वरी के 10 अनजाने रहस्य

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 18 सितम्बर 2021 (11:02 IST)
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी (12वें दिन) के दिन भुवनेश्वरी देवी की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2021 में ये 18 सितम्बर को मनाई जाएगी। आओ जानते हैं माता भुवनेश्वरी के संबंध में 10 अनजाने रहस्य।
 
 
1. माना भुवनरेश्वरी दस महा विद्याओं में से 4थी महाविद्या है और प्रवृत्ति के अनुसार सौम्य कोटि की देवी हैं।
 
2. ग्रहण, रंगों के त्यौहार होली, उजाले का प्रतीक दीवाली, महाशिवरात्रि, कृष्ण पक्ष एवं अष्टमी के दिन मुख्य रूप से भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है।
 
3. भुवनेश्वरी देवी को आदिशक्ति और मूल प्रकृति भी कहा गया है। भुवनेश्वरी ही शताक्षी और शाकम्भरी नाम से प्रसिद्ध हुई।
 
4. कहते हैं कि इन्होंने दुर्गमासुर का वध किया था।
 
5. इन्हें काल की जन्मदात्री भी कहा जाता है। इनके मुख्‍य आयुध अंकुश और पाश है। आदि शक्ति भुवनेश्वरी मां का स्वरूप सौम्य एवं अंग कांति अरुण हैं। भुवनेश्वरी के एक मुख, चार हाथ हैं। चार हाथों में गदा-शक्ति का एवं राजंदंड-व्यवस्था का प्रतीक है। माला-नियमितता एवं आशीर्वाद मुद्रा-प्रजापालन की भावना का प्रतीक है। आसन-शासनपीठ-सवोर्च्च सत्ता की प्रतीक है।
 
6. पुत्र प्राप्ती के लिए लोग भुवनेश्वरी देवी की आराधना करते हैं। भक्तों को अभय एवं सिद्धियां प्रदान करना इनका स्वभाविक गुण है।
 
7. इस महाविद्या की आराधना से सूर्य के समान तेज और ऊर्जा प्रकट होने लगती है। ऐसा व्यक्ति अच्छे राजनीतिक पद पर आसीन हो सकता है। माता का आशीर्वाद मिलने से धनप्राप्त होता है और संसार के सभी शक्ति स्वरूप महाबली उसका चरणस्पर्श करते हैं।
 
8. भुवनेश्वरी माता का मंत्र: स्फटिक की माला से ग्यारह माला प्रतिदिन 'ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:' मंत्र का जाप कर सकते हैं। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।... ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नमः। और ऐं ह्रुं श्रीं ऐं हम्रम।।
 
9. घर में सरल पूजा करने के लिए भक्तों को लाल फूल, चावल, चन्दन एवं रुद्राक्ष को देवी के सामने अर्पित चाहिए। दस साल से कम उम्र की कन्या को भुवनेश्वरी का रूप माना जाता है। अत: इस दिन कन्या भोज का भी कराना चाहिए। इन कन्याओं के पैर धोकर, पूजा आराधना की जाती है, फिर इन्हें खाना खिलाया जाता है। इसके बाद इन्हें कपड़े एवं अन्य उपहार दिए जाते हैं।
 
10. तमिलनाडु के पुदुक्कोठई में भुवनेश्वरी देवी का विशाल मंदिर है। उड़ीसा के पूरी में जगन्नाथ मंदिर के भी इनका छोटा सा मंदिर है। ओड़िसा के कटक में कटक चंडी मंदिर भी भुवनेश्वरी देवी का मंदिर है। गुजरात के गोंडल में, असम के गुवाहाटी में, दक्षिण भारत में वेल्लाकुलान्गारा के पास चूराक्कोदु में, कृष्ण की नगरी मथुरा में, महाराष्ट्र के सांगली जिले में श्री शेत्र औदुम्बर नाम से आदि जगहों पर इनके मंदिर हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Surya in vrishchi 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 4 राशियों के लिए बहुत ही शुभ

दत्तात्रेय जयंती कब है? जानिए महत्व

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

काल भैरव जयंती पर करें मात्र 5 उपाय, फिर देखें चमत्कार

सभी देखें

धर्म संसार

20 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

20 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Mesh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मेष राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Vrishabha Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृषभ राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Saptahik Panchang : जानें 7 दिनों के शुभ मुहूर्त और व्रत त्योहार के बारे में

अगला लेख