छठ पर्व पर लोकगीत की परंपरा

Webdunia
वैसे तो हर तीज-त्योहार पर लोकगीतों की परंपरा रही है किंतु छठ पर्व पर विशेष धुन और विशिष्ट अंदाज में लोकगीत गाने की परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार पूजन के दौरान महिलाएं समूह में लोकगीत गाते हुए चलती हैं। 

भारत के जिन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से छठ या षष्ठी का व्रत किया जाता है, वहां लोकगीतों के बगैर यह व्रत अधूरा माना जाता है। छठ पर्व के यह लोकगीत भी विशेष होते हैं। उन्हीं में से एक प्रचलित लोकगीत है यह -  
 
कांचे ही बास के बहगिया।
बंहगी लचकत जाए।
बाट जे पूछेला बटोहिया।
इ दल केकरा के जाए।
आन्हर होइहे रे बटोहिया
इ सूरूज बाबा के जाए।
इ आदित बाबा के जाए।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

महाकुंभ में अघोरियों का डेरा, जानिए इनकी 10 खास रोचक बातें

बुध का मकर राशि में गोचर, 3 राशियों की नौकरी पर होगा सकारात्मक असर

कुंभ मेला 2025: महाकुंभ और युद्ध का क्या है संबंध?

मंगल करेंगे मिथुन राशि में प्रवेश, 5 राशियों को मिलेगी खुशखबरी

रिश्ता तय होने, सगाई से लेकर विदाई और गृह प्रवेश सहित हिंदू विवाह की संपूर्ण रस्म

सभी देखें

धर्म संसार

प्रयाग महाकुंभ में अब साधु संत भी करेंगे पीम मोदी की तरह- मन की बात

मोदी सहित बड़े राजनीतिज्ञों के भविष्य के बारे में क्या कहते हैं ज्योतिष?

shattila ekadashi 2025: षटतिला एकादशी व्रत 2025 का पारणा मुहूर्त क्या है?

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में जा रहे हैं तो जानिए कि किस साधु के कैंप में जाने से क्या मिलेगा लाभ

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बीच 15 दिन का फासला, घट सकती है बड़ी घटना