Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

WD Feature Desk
शनिवार, 18 मई 2024 (17:34 IST)
Chinnamasta jayanti 2024: छिन्नमस्ता दस महाविद्या देवियों में से छठवीं देवी हैं। देवी का यह स्वरूप स्वयं का शीश काटने वाली देवी के रूप में होने के कारण उन्हें छिन्नमस्ता कहते हैं। और उन्हें प्रचण्ड चण्डिका के नाम से भी जाना जाता है।  मार्कण्डेय पुराण और शिव पुराण में माता की कथा मिलती है। उन्होंने ही चंडी रूप धारण करके असुरों का संहार किया था ।21 मई 2024 को माता की जयंती रहेगी।
ALSO READ: गुप्त नवरात्रि की 10 महाविद्याओं के 10 मंत्र, तुरंत होते हैं सिद्ध
छिन्नमस्ता | Chinnamasta devi:
 
छिन्नमस्ता मूल मन्त्र:-
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा॥ रूद्राक्ष माला से दस माला से प्रतिदिन जाप कर सकते हैं। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।

क्यों मनाते हैं जयंती: शांत भाव से इनकी उपासना करने पर यह अपने शांत स्वरूप को प्रकट करती हैं। उग्र रूप में उपासना करने पर यह उग्र रूप में दर्शन देती हैं जिससे साधक के उच्चाटन होने का भय रहता है।
 
छिन्नमस्तका साधना: चतुर्थ संध्याकाल में मां छिन्नमस्ता की उपासना से साधक को सरस्वती की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। पलास और बेलपत्रों से छिन्नमस्ता महाविद्या की सिद्धि की जाती है। इससे प्राप्त सिद्धियां मिलने से लेखन बुद्धि ज्ञान बढ़ जाता है। शरीर रोग मुक्त हो जाते हैं। सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष शत्रु परास्त होते हैं। यदि साधक योग, ध्यान और शास्त्रार्थ में साधक पारंगत होकर विख्यात हो जाता है।
छिन्नमस्ता मा का स्वरूप:-
माता का स्वरूप अतयंत गोपनीय है। इस पविवर्तन शील जगत का अधिपति कबंध है और उसकी शक्ति छिन्नमस्ता है। इनका सिर कटा हुआ और इनके कबंध से रक्त की तीन धाराएं बह रही हैं। इनकी तीन आंखें हैं और ये मदन और रति पर आसीन है। देवी के गले में हड्डियों की माला तथा कंधे पर यज्ञोपवीत है। इन्हें चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण और रक्त गुणों की देवियां इनकी सहचरी हैं। जिन्हें अजया और विजया भी कहा जाता है। युद्ध दैत्यों को परास्त करने के बाद भी जब सखियों की रुधिर पिपासा शांत नहीं हुई तो देवी ने ही उनकी रुधिर पिपासा शांत करने के लिए अपना मस्तक काटकर रुधिर पिलाया था। इसीलिए माता को छिन्नमस्ता नाम से पुकारा जाता है।
ALSO READ: Das mahavidya: गुप्त नवरात्रि में नौदुर्गा नहीं 10 महाविद्याओं की होती है पूजा, जानें सभी का परिचय
छिन्नमस्तिके मंदिर:- कामाख्या के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में विख्यात मां छिन्नमस्तिके मंदिर काफी लोकप्रिय है। झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 79 किलोमीटर की दूरी रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके का यह मंदिर है। रजरप्पा की छिन्नमस्ता को 52 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना बताया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Singh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: सिंह राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Aaj Ka Rashifal: आज किसके बनेंगे सारे बिगड़े काम, जानें 21 नवंबर 2024 का राशिफल

21 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख