दुखियों की दीन दशा बदल देती है दशा माता, जानिए यह व्रत कैसे करें

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हिन्दू धर्म में चैत्र माह में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है। इस बार यह व्रत चैत्र कृष्ण दशमी, दिन शुक्रवार, 17 मार्च को मनाया जा रहा है। माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं किंतु जब दशा प्रतिकूल होती है, तब मनुष्य को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इन्हीं परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है। 
 
मान्यतानुसार चैत्र महीने की दशमी पर महिलाएं दशा माता का व्रत करती हैं। यह व्रत खास तौर पर घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है। इस दिन दशा माता के कोप से बचाने के लिए पौराणिक कथा पढ़ी अथवा सुनीं जाती है। 
 
दशा माता का व्रत कैसे करें-  
 
1. यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। 
 
2. सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं। इसलिए जो व्यक्ति चैत्र कृष्ण दशमी तिथि को दशा माता का व्रत एवं पूजन करते हैं, उनके  घर से दरिद्रता हमेशा के लिए दूर चली जाती है।
 
3. इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती है तथा पीपल की पूजन कर 10 बार पीपल की परिक्रमा कर उस पर सूत लपेटती हैं तथा डोरे में 10 गठान लगाकर गले में बांधकर रखती हैं। 
 
4. इस डोरे की पूजन करने के बाद पूजन स्थल पर नल-दमयंती की अनोखी प्रेम कहानी/कथा सुनती हैं। 
 
5. इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं। 
 
6. पूजन के पश्चात महिलाएं अपने घरों पर हल्दी एवं कुमकुम के छापे लगाती हैं। 
 
7. एक ही प्रकार का अन्न एक समय खाती हैं। 
 
8. इस व्रत में भोजन में नमक नहीं लिया जाता है। 
 
9. इस दिन विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करते हैं। 
 
10. यह व्रत जीवनभर किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है।
 
इसके अलावा इस दिन घर की साफ-सफाई करके घरेलू जरूरत के सामान के साथ-साथ झाडू इत्यादि भी खरीदेने का महत्व माना गया है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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