dev uthani ekadashi 2019 date : देवउठनी एकादशी पर ना करें ये काम वरना बनेंगे पाप के भागीदार

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मुहूर्तः एकादशी तिथि प्रारंभ : 7 नवंबर 2019 को 0 9:55 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त :  8 नवंबर 2019 को रात्रि 12:24 बजे 
 
9 नवंबर को व्रत पारण का समय : प्रात: 06:39 से 08:50 तक 
 
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय :  दोपहर 02:39 
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 8 नवंबर को शाम 7:55 से रात 10 बजे तक रहेगा। 

द्वादशी तिथि प्रारंभ- दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से (8 नवंबर 2019) 
द्वादशी तिथि अंत- दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से (9 नवंबर 2019)
एकादशी का पर्व श्रीहरि विष्णु और उनके अवतारों के पूजन का पर्व है। श्रीहरि की उपासना की सबसे अद्भुत एकादशी कार्तिक महीने की एकादशी होती है जब श्रीहरि जागते हैं। 
 
इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी निद्रा के बाद जागते हैं। हिंदू परंपराओं के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की शादी तुलसी से होती है। 
 
एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, इसे खाने से व्यक्ति का मन चंचल होता है और प्रभु भक्ति में मन नहीं लगता है। 
 
पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। 
 
एकादशी की सुबह दातून करना वर्जित है हालांकि ये संभव नहीं है। इस दिन किसी पेड़-पत्ती की फूल-पत्ती तोड़ना वर्जित है। 
 
एकादशी के दिन उपवास करें या ना करें लेकिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। इस दिन संयम रखना जरूरी है। 
 
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, एकादशी को बिस्तर पर नहीं, जमीन पर सोना चाहिए। 
 
एकादशी और उसके अगले दिन द्वादशी पर तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए। 
 
मांस और नशीली वस्तुओं का सेवन भूलकर ना करें। स्नान के बाद ही कुछ ग्रहण करें। 
 
एकादशी के दिन झूठ नहीं बोलें, इससे पाप लगता है। झूठ बोलने से मन दूषित हो जाता है और दूषित भक्ति से पूजा नहीं की जाती है। एकादशी के दिन भूलकर भी क्रोध नहीं करें।
 
देवउठनी एकादशी पर अनाज, दालें और बीन्स खाने से परहेज करना चाहिए। अगर एकादशी पर पूरी तरह से फास्टिंग रखें या केवल पानी पिएं तो सर्वोत्तम है लेकिन अगर व्यस्त दिनचर्या है तो फल, दूध या बिना अनाज वाली चीजें खा सकते हैं। 
 
एकादशी के व्रत का मुख्य उद्देश्य यही है कि शरीर की जरूरतों को कम से कम रखा जाए और ज्यादा से ज्यादा वक्त आध्यात्मिक लक्ष्य की पूर्ति में खर्च किया जा सके। 
 
देवउठनी एकादशी की सुबह घर पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। 

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