गोपाष्टमी पर्व कैसे मनाएं, क्या है इसका महत्व, जानिए किसने शुरू की थी गौ चारण की प्रथा

Webdunia
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दिवाली के ठीक बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 16 नवंबर 2018, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। कई स्थानों पर तिथियों के मतभेद के चलते यह पर्व 15 नवंबर, गुरुवार को भी मनाया जाएगा।
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। इस दिन गो, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने का महत्व है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है। अत: गाय को गौ माता भी कहा जाता है। 
 
आइए जानें कैसे मनाएं गोपाष्टमी पर्व? 
 
* कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन प्रात:काल में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें। 
 
* तत्पश्चात प्रात:काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौ माता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाएं।
 
* इस दिन बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है। 
 
* प्रात:काल में ही धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और धूप-दीप से आरती उतारी जाती है।
 
* इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को उपहार आदि देकर उनका भी पूजन करना चाहिए।  
 
* इस दिन गायों को खूब सजाया-संवारा जाता है।
 
* इसके बाद गाय को चारा आदि डालकर उनकी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं। 
 
* संध्याकाल में गायों के जंगल से वापस लौटने पर उनके चरणों को धोकर तिलक लगाने का महत्व है। 
 
इस संबंध में ऐसी आस्था भी है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है। 
 
ALSO READ: बहुत शुभ होती है हल्दी पूजा में, क्यों है इसका इतना महत्व... 11 काम की बातें

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

गुड़ी पड़वा से शुरू हो रही है 8 दिन की चैत्र नवरात्रि, हाथी पर सवार होकर आएंगी माता रानी, जानिए फल

jhulelal jayanti 2025: भगवान झूलेलाल की कहानी

चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना और कलश स्थापना क्यों करते हैं?

जानिए कब शुरू हो रही है केदारनाथ समेत चार धाम की यात्रा

51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का कालीघाट मंदिर, सोने से बनी है मां काली की जीभ

सभी देखें

धर्म संसार

Dasha Mata Vrat : दशा माता व्रत आज, क्यों करें यह व्रत, जानें महत्व और पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि 2025: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से हर क्षेत्र में होगी विजय

वारुणि पर्व कब है और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

शनि का मीन राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल, किसे होगा फायदा और किसे नुकसान

कब मनाया जाएगा श्रीराम जन्मोत्सव, जानें पूजन के मुहूर्त, विधि और महत्व

अगला लेख