हरियाली तीज कथा : 3 अगस्त को अवश्य पढ़ें यह प्रामाणिक व्रत कथा

Webdunia
सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, उसे हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है।
 
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। परंतु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां माता पार्वतीजी और भगवान शिवजी की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं। इसी वजह से इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है।

 
वर्ष 2019 में हरियाली तीज व्रत 3 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरा लहरिया या चुनरी में गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।
 
तीज की कथा :- 
 
शिवजी ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे। 
 
तुम्हारे पिता दुःखी थे। नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं। 
 
पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दु.ख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। 
 
सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा। 
 
शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे। 
 
तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिवजी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से करने को राजी हों। 
 
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो। 
 
मनचाहे वर के लिए करें हरियाली तीज का व्रत :

सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहीं कज्जली तीज तो कहीं हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। भव‌िष्य पुराण में देवी पार्वती बताती हैं क‌ि तृतीया त‌ि‌‌थ‌ि का व्रत उन्होंने बनाया है ज‌िससे स्त्र‌ियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्त‌ि होती है। सावन महीने में तृतीया त‌िथ‌ि को सौ वर्ष की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान श‌िव को पत‌ि रूप में पाने का वरदान प्राप्त क‌िया था।
 
हरियाली तीज पूजा विधि:

हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है।
 
पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है।

ALSO READ: हरियाली तीज मुहूर्त और पूजन विधि : इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मिलता है साक्षात शिव का आशीष

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Aaj Ka Rashifal: किसे मिलेगा आज भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल (14 मई 2024)

14 मई 2024 : आपका जन्मदिन

14 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

Budh in mesh : बुध का मेष राशि में गोचर 5 राशियों का सोने जैसा चमकेगा भाग्य

अगला लेख