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Kaal Bhairav Puja 2025: काल भैरव अष्टमी पर करें इस तरह भगवान की पूजा, सभी संकट होंगे दूर

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हमें फॉलो करें Kaal Bhairav Ashtami 2025

WD Feature Desk

, बुधवार, 5 नवंबर 2025 (15:41 IST)
Bhairav Puja Vidhi: काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है, शत्रु शांत होते हैं, और काल का भय समाप्त होता है। इस दिन की गई पूजा शनि और राहु जैसे ग्रहों के अशुभ प्रभाव को भी शांत करती है।ALSO READ: Kartik Purnima Snan in Pushkar: कार्तिक पूर्णिमा पर राजस्थान के पुष्‍कर सरोवर में स्नान का क्या है महत्व?

काल भैरव अष्टमी, जिसे भैरव जयंती या कालाष्टमी भी कहते हैं, जो मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। काल भैरव पूजन के महत्व के अनुसार काल भैरव को शत्रुओं का नाश करने वाला माना जाता है, इनकी पूजा से शत्रु बाधाएं और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। 

वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी तिथि पर काल भैरव अष्टमी या जयंती 12 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जा रही है। 
 
काल भैरव अष्टमी पर भगवान की पूजा आप इस तरह कर सकते हैं:
 
काल भैरव अष्टमी पूजा विधि: काल भैरव की पूजा मुख्य रूप से रात्रि के समय की जाती है, लेकिन दिनभर व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है।
 
1. पूजा का संकल्प और तैयारी:
 
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र, यदि हो सके तो काले या गहरे रंग के वस्त्र धारण करें।
 
संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत/पूजा का संकल्प लें।
 
स्थापना: एक लकड़ी के पाट या चौकी पर काला या लाल वस्त्र बिछाएं। इस पर भगवान शिव-पार्वती और काल भैरव की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
 
दीपक और धूप: चौमुखी/ चार मुखों वाला दीपक सरसों के तेल का जलाएं और गुग्गल की धूप जलाएं।ALSO READ: बाबा वेंगा भविष्यवाणी 2026: महायुद्ध, आर्थिक संकट और सोने के दाम? जानें बुल्गारियाई भविष्यवक्ता की 4 सबसे बड़ी चेतावनियां
 
2. मुख्य पूजा सामग्री और विधि:
 
तिलक: भगवान को कुमकुम/ रोली, हल्दी और लाल चंदन का तिलक लगाएं।
 
अर्पण: भगवान को बेलपत्र, धतूरे के फूल, काले तिल, काली उड़द की दाल, फल और पंचामृत अर्पित करें।
 
सरसों का तेल: भगवान भैरव की प्रतिमा या चित्र पर सरसों के तेल से अभिषेक करें या सरसों का तेल चढ़ाएं।
 
भोग/नैवेद्य: काल भैरव को उड़द की दाल से बनी वस्तुएं, जैसे बड़े, मीठी रोटियां, पूड़ी-सब्जी और गुड़ के पुए का भोग लगाया जाता है। कुछ मान्यताओं में शराब भी चढ़ाई जाती है, लेकिन सात्विक पूजा के लिए सादा भोग ही पर्याप्त है।
 
मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला से भगवान काल भैरव के मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
 
मुख्य मंत्र: ॥ॐ भैरवाय नमः॥
बटुक भैरव मंत्र: ॥ॐ बटुक भैरवाय नमः॥
 
पाठ: शिव चालीसा, भैरव चालीसा और काल भैरव अष्टक का पाठ करें।
 
आरती: अंत में कपूर या घी के दीपक से भगवान भैरव की आरती करें और उनसे कृपा की प्रार्थना करें।

इस विशेष दिन उनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों को भय, शत्रु बाधा और सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Kaal Bhairav Jayanti 2025: अष्ट भैरव में से काल भैरव के इस मंत्र से मिलेगा उनका आशीर्वाद

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