ललिता षष्ठी या मोरछाई छठ पर्व कब और क्यों मनाया जाता है, जानें पूजा विधि

WD Feature Desk
शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 (11:44 IST)
Lalita Shashti 2025: ललिता षष्ठी को मोरछाई छठ के नाम से भी जाना जाता है, यह भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।ALSO READ: भाद्रपद मास कब से कब तक रहेगा, जानिए इस माह के व्रत त्योहारों की लिस्ट
 
ललिता षष्ठी 2025: कब है व्रत?
इस वर्ष भाद्रपद, शुक्ल षष्ठी का प्रारम्भ- 28 अगस्त को 05:56 पी एम से,  
समाप्त- 29 अगस्त को 08:21 पी एम पर। 
पंचांग के अनुसार, कोई भी व्रत उदया तिथि के आधार पर ही रखा जाता है। चूंकि 29 अगस्त को सूर्योदय के समय षष्ठी तिथि मौजूद रहेगी, इसलिए यह व्रत इसी दिन किया जाएगा।
 
क्यों मनाते हैं यह पर्व : ललिता षष्ठी का व्रत माताएं अपनी संतान के सुख, सौभाग्य और दीर्घायु के लिए रखती हैं। इस दिन देवी ललिता, स्कंदमाता (जो भगवान कार्तिकेय की मां हैं) और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनका जीवन सुख-शांति से भर जाता है।
 
पूजा विधि
1. व्रत का संकल्प: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। यह व्रत बिना अनाज खाए रखा जाता है यानी इस व्रत में अन्नहार वर्जित है।
 
2. पूजा की तैयारी: घर के पूजा स्थान पर देवी ललिता, स्कंदमाता और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
 
3. पूजन: देवी को लाल फूल, रोली, कुमकुम, अक्षत, फल और मिठाई अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं।
 
4. विशेष भोग: इस दिन पूड़ी, पूआ और अन्य पकवानों का भोग लगाया जाता है। ध्यान रखें कि इस व्रत में गाय के दूध से बने उत्पादों और जुताई से उगे अनाज या सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है।
 
5. व्रत कथा: पूजा के दौरान ललिता षष्ठी की व्रत कथा का श्रवण या पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।
 
6. पारण: व्रत का पारण अगले दिन सुबह पूजा-अर्चना करने के बाद किया जाता है।
 
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