मधुश्रावणी व्रत 2021: नवविवाहिता करती है मां गौरी की आराधना, बासी फूल से क्यों की जाती है पूजा

Webdunia
- राजश्री कासलीवाल

श्रावण कृष्ण पंचमी बुधवार, 28 जुलाई 2021 से मिथिलांचल का लोकपर्व जो कि सुहाग का अनोखा पर्व माना जाता है मधुश्रावणी व्रत शुरू हो गया है। यह पर्व 13 दिनों तक चलता है। इस पर्व में मिथिला की नवविवाहिताएं अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए बासी फूल से माता गौरी की पूजा करती हैं। 
 
इस व्रत में पूजन के एक दिन पहले ही संध्या काल में पुष्प, पत्र-पत्ते आदि एकत्रित करके रख लिए जाते हैं, इन्हीं पुष्प-पत्तों से भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती तथा नागवंश या विषहरी नागिन की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व में पहले और अंतिम दिन विधि-विधान से शिव-पार्वती का पूजन किया जाता है।
 
बासी फूल से पूजन की परंपरा- इस व्रत के दौरान मिथिला की नवविवाहिता महिलाएं पूजन के एक दिन पूर्व ही अपनेसखियों-सहेलियों के साथ पारंपरिक लोकगीत गाते हुए सज-धज कर बाग-बगीचे से तरह-तरह के पुष्प, पत्र को अपनी डाली में सजाकर लाती हैं और हर सुबह अपने पति की लंबी आयु के लिए उसी फूल से माता पार्वती के साथ नागवंश की पूजा करती हैं। इन दिनों बिना नमक का भोजन ग्रहण करने की मान्यता है। 
 
इस व्रत के संबंध में धार्मिक मान्यता है कि मधुश्रावणी व्रत में पूजा के दौरान नवविवाहित महिलाएं अपने मायके जाकर वहीं इस पर्व को मनाती हैं। और इस व्रत-पूजन के उपयोग आने वाली सभी चीजें कपड़े, श्रृंगार सामग्री, पूजन सामग्री की व्यवस्था और विवाहिता की भोजन की चीजें भी ससुराल से ही आती है। इन दिनों माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। इन दिनों ठुमरी, कजरी गाकर देवी पार्वती को प्रसन्न किया जाता हैं तथा मधुश्रावणी की पूजा के बाद कथा पढ़ी और सुनीं जाती हैं। नवविवाहिता इस पूजन के माध्यम से अपने सुहाग की रक्षा के लिए कामना करती हैं। 
 
यह पर्व हर वर्ष श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से शुरू होकर नागपंचमी तक चलता है। इस दिन कच्ची मिट्टी के हाथी पर शिव-गौरी तथा नाग-नागिन आदि की प्रतिमा को कोहवर के पास स्थापित कर पूजन करती है। इस पूजा में दूध, धान के लावा का विशेष महत्व है। इस पर्व में हर दिन के पूजन का अलग-अलग विधान तथा अलग-अलग दिन की अलग-अलग कथा भी पढ़ी और सुनीं जाती हैं। पूजन के बाद सुहागिनों को सुहाग सामग्री आपस में वितरित की जाती है। मैथिल ब्राह्मण समाज इस पर्व की धूम देखी जा सकती है। इस पर्व पर गांव में पारंपरिक देवी गीतों के स्वर गूंजते सुनाई पड़ते हैं। 

ALSO READ: एकादशी के दिन क्यों नहीं खाते हैं चावल?

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology : किस राशि के लोग आसानी से जा सकते हैं आर्मी में?

Vastu Tips : वास्तु के अनुसार इन 4 जगहों पर नहीं रहना चाहिए, जिंदगी हो जाती है बर्बाद

Mangal Gochar : मंगल का मीन राशि में प्रवेश, 12 राशियों का राशिफल जानें

Shani Sade Sati: 3 राशि पर चल रही है शनिदेव की साढ़ेसाती, 2 पर ढैया और किस पर कब लगेगा शनि?

Vastu Tips : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में 2 वास्तु यंत्र रखने से होता है वास्तु दोष दूर

25 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

25 अप्रैल 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

1 मई 2024 से बदल जाएगी इन 5 राशियों की किस्मत, लक्ष्मी और सुख की वर्षा होगी

Budh margi: बुध के मार्गी होने पर इन राशियों की नौकरी में होगा प्रमोशन

1 मई से गुरु वृषभ राशि में, जानें किन राशियों की कन्या जातकों के विवाह में बनेंगे बाधक

अगला लेख