इस साल नहीं होंगे देवउठनी एकादशी पर विवाह, जानिए क्या है वजह

पं. हेमन्त रिछारिया
इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर नहीं होंगे विवाह
 
विवाह का हमारे षोडश संस्कारों में अहम स्थान है। विवाह से ही व्यक्ति के गृहस्थ आश्रम का आरंभ होता है। विवाह के लिए एक ओर जहां योग्य जीवनसाथी की आवश्यकता होती है वहीं इस संस्कार को सम्पन्न करने के लिए एक श्रेष्ठ मुहूर्त की भी दरकार होती है। 
 
विवाह मुहूर्त सुनिश्चित करने में त्रिबल शुद्धि अर्थात् चन्द्र, गुरु और शुक्र की महती भूमिका होती है। विवाह के दिन चंद्र, गुरु  व शुक्र का गोचरवश शुभ स्थानों में होना परम आवश्यक है। 
 
त्रिबल शुद्धि के साथ ही विवाह मुहूर्त में गुरु व शुक्र के तारे का उदित स्वरूप होना भी आवश्यक है। गुरु व शुक्र का तारा यदि अस्त है तो विवाह का मुहूर्त नहीं निकलेगा। हिंदू परंपरा के अनुसार सामान्यत: देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक विवाह का निषेध माना गया है। 
 
अधिकांश विद्वान देवउठनी एकादशी को विवाह संस्कार संपन्न करने के लिए अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त की मान्यता प्रदान करते हैं। किंतु वर्ष 2018 में देवउठनी एकादशी पर विवाह संपन्न नहीं होंगे क्योंकि इस बार देवउठनी एकादशी पर गुरु का तारा अस्त स्वरूप रहेगा। गुरु के अस्त होने के कारण इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर विवाह मुहूर्त नहीं बनेगा।
 
आइए जानते हैं कि गुरु के अस्त-उदय काल क्या हैं-
 
अस्त-
-दिनांक 12-11-2018 दिन सोमवार कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को गुरु का तारा पश्चिम में अस्त होगा।
उदय-
-दिनांक 7-12-2018 दिन शुक्रवार मार्गशीर्ष अमावस्या को गुरु का तारा पूर्व में उदय होगा।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: astropoint_hbd@yahoo.com


ALSO READ: तुलसी का यह एक मंत्र देगा अपार धन-दौलत और सुख-समृद्धि, अवश्य पढ़ें... 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

4 भयंकर योग के चलते 5 राशियों को रहना होगा इस साल संभलकर

बढ़ता ही जा रहा है गर्मी का तांडव, क्या सच होने वाली है विष्णु पुराण की भविष्यवाणी

भविष्यवाणी: ईरान में होगा तख्तापलट, कट्टरपंथी खामेनेई की ताकत का होगा अंत!

ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा कहां से निकलकर कहां तक जाती है?

जब मेहर बाबा ने पहले ही दे दिया था विमान दुर्घटना का संकेत, जानिए क्या था वो चमत्कार?

सभी देखें

धर्म संसार

17 जून 2025 : आपका जन्मदिन

17 जून 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

पुरी में क्यों होती है भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति की पूजा, जानिए ये गूढ़ रहस्य

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में रथ खींचने के क्या है नियम और पुण्यफल

आषाढ़ की अष्टमी पर कैसे करें शीतला माता की पूजा, जानें सही तरीका

अगला लेख