फुलेरा दूज 2021 : इस माह का सबसे शुभ दिन आज, फाल्गुन द्वितीया तिथि का शुभ मुहूर्त और महत्व

Webdunia
फाल्‍गुन माह की द्वितीया को मनाई जाने वाली फुलेरा दूज, होली आगमन का प्रतीक मानी जाती है। उत्तर भारत के गांवों में फुलेरा दूज का उत्‍सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। फुलेरा दूज के बाद से ही होली की तैयारियां शुरू कर दीं जातीं हैं। कुछ लोग इसे होली रखने वाले दिन के रूप में भी जानते हैं। इस त्यौहार से गुलरियां बनाने का कार्य शुरू किया जाता हैं।
 
इस त्योहार को फूलों से रंगोली बनाई जाती है तथा विशेष रूप से श्री राधाकृष्‍ण का फूलों से श्रंगार करके उनकी पूजा की जाती है। ब्रजभूमि के श्री कृष्ण मंदिरों में इस त्यौहार का महत्व सर्वाधिक हैं। इस दिन मथुरा और वृंदावन में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और फूलों की होली खेली जाती है। भगवान कृष्ण के मंदिरों में भजन गाए एवं सुने जाते हैं।
 
ऐसी भी मान्यता है कि, फुलैरा दूज इस माह का सबसे शुभ दिन होता है और इस दिन किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है। सर्दी के मौसम के बाद इसे विवाह का अंतिम शुभ दिन माना जाता, अतः इस दिन किसी भी मुहूर्त में शादी की जा सकती है। परंतु ज्योतिष विज्ञान के कई ज्ञाता यह दिन प्रति पल शुभ है, इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते हैं।
 
phulera dooj 2021
गुलरियां का प्रयोग होलिका दहन के समय किया जाता है। गुलरियां को गाय के गोबर से गोल-गोल टिक्की आकार देकर उनके बीच में छिद्र बना दिया जाता है। सूखने के बाद उन्हें एक धागे मे पिरो लिया जाता है, जिसे गुलरियों की माला कहा जाता है। 
 
इन गुलरियां के निर्माण के साथ एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इन्हें केवल फुलैरा दूज से ही बनाना / निर्माण शुरू कर सकते हैं। मध्यप्रदेश निमाड़ अंचल में इस बड़बुले, बड़कुले, बड़गुले, बडकुल्ये कहते हैं। जिनमें गोबर से कई प्रकार की आकृतियां बनाकर माला बनाई जाती है। दो दीयों को मिलाकर उसमें कंकड़ डाल कर नारियल बनाया जाता है। उसी तरह पान, बरफी, मठरी, लड्डू सब आकार की बीच में छेद सहित आकृतियां बनाकर सुखाई जाती है फिर सबको पिरोकर उसकी माला बनाकर होली दहन पर समर्पित की जाती है।  
 
पंचांग के अनुसार इस वर्ष 15 मार्च को फुलेरा दूज phulera dooj का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन को होली का आरंभ माना जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त के रूप में भी देखा जाता है।
 
दूसरे शब्दों में फुलेरा दूज का पर्व पंचांग के अनुसार 15 मार्च फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा मीन राशि में विराजमान रहेगा।फुलेरा दूज का पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान इस दिन फूलों से खेलते हैं। इसीलिए इसे फुलेरा दूज कहा जाता है।
 
होली का आगमन
फुलेरा दूज से ही होली के पर्व का आगमन माना जाता है।इस दिन से होली की तैयारियां विधिवत आरंभ हो जाती है। मथुरा और बृज में फुलेरा दूज के पर्व पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। इसी दिन होली को स्थापित किया जाता है, जिसे होलिका दहन के दिन शुभ मुहूर्त में अग्नि दी जाती है।
 
 
फुलेरा दूज पर अबूझ मुहूर्त का निर्माण
फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त का निर्माण होता है। ऐसी मान्यता है कि फुलेरा दूज शुभ कार्यों के लिए उत्तम होती है। इस दिन विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को करने के लिए मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं मानी जाती है।
 
भगवान श्रीकृष्ण फूलों से खेलते हैं
पौराणिक मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण फूलों से खेलते हैं। इस दिन को उल्लास के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।कृष्ण मंदिरों में इस दिन विशेष पूजन किया जाता है। फुलेरा दूज को राधा और कृष्ण के मिलन की तिथि के रूप में भी मनाया जाता है।मान्यता है कि इसी दिन राधा ने श्रीकृष्ण के साथ फूलों की होली खेली थी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और प्रेम बना रहता है। इसी दिन फुलेरा दूज को शादी विवाह के लिए अच्छा माना जाता है।
 
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन द्वितीया तिथि का आरंभ 14 मार्च को शाम 05 बजकर 06 मिनट से होगा और इसका समापन 15 मार्च को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर होगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा

अगला लेख