Rukmini Ashtami 2021 : रुक्मिणी कौन थीं, जानिए 10 बातें

अनिरुद्ध जोशी
भगवान श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां थीं। यथा- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। इनमें से रुक्मिणी पहली पत्नि थीं। आओ जानते हैं रुक्मिणी के संबंध में 10 खास बातें।
 
 
1. महाभारत के अनुसार विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं रुक्मिणी। रुक्मिणी के 5 भाई थे- रुक्म, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस तथा रुक्ममाली। 
 
2. रुक्मिणी सर्वगुण संपन्न तथा अति सुन्दरी थी। उसके शरीर में लक्ष्मी के शरीर के समान ही लक्षण थे अतः लोग उसे लक्ष्मीस्वरूपा कहा करते थे।
 
3. भीष्मक और रुक्मिणी के पास जो भी लोग आते-जाते थे, वे सभी श्रीकृष्ण की प्रशंसा किया करते थे। श्रीकृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुक्मिणी ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर अन्य किसी को भी पति रूप में स्वीकार नहीं करेगी। 
 
4. रुक्मिणी का भाई रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था। रुक्मणि के भाई रुक्म का वह परम मित्र था। रुक्म अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्म ने माता-पिता के विरोध के बावजूद अपनी बहन का शिशुपाल के साथ रिश्ता तय कर विवाह की तैयारियां शुरू कर दी थीं।
 
5. रुक्मिणी को जब इस बात का पता लगा, तो वह बड़ी दुखी हुई। उसने अपना निश्चय प्रकट करने के लिए एक ब्राह्मण को द्वारिका श्रीकृष्ण के पास भेजा और सभी हाल कह सुनाया। नारदजी ने भी श्रीकृष्ण से कहा कि अब देर ना करें प्रभु क्योंकि विवाह हेतु शिपुपाल जरासंध की सेना के साथ विदर्भ पहुंच चुका है।
 
श्रीकृष्ण ने रुक्मणि का संदेश पढ़ा- 'हे नंद-नंदन! आपको ही पति रूप में वरण किया है। मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती। मेरे पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं। विवाह की तिथि भी निश्चित हो गई। मेरे कुल की रीति है कि विवाह के पूर्व होने वाली वधु को नगर के बाहर गिरिजा का दर्शन करने के लिए जाना पड़ता है। मैं भी विवाह के वस्त्रों में सज-धज कर दर्शन करने के लिए गिरिजा के मंदिर में जाऊंगी। मैं चाहती हूं, आप गिरिजा मंदिर में पहुंचकर मुझे पत्नी रूप में स्वीकार करें। यदि आप नहीं पहुंचेंगे तो मैं आप अपने प्राणों का परित्याग कर दूंगी।'
 
6. श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता हो चुका था कि रुक्मिणी परम रूपवती होने के साथ-साथ सुलक्षणा भी है और वह मुझे ही चाहती है परंतु उसका भाई रुक्म उसका विवाह उनकी बुआ (कृष्ण की बुआ) के पुत्र शिशुपाल से करना चाहता है। अंतत: रुक्म और शिशुपाल के विरोध के कारण ही श्रीकृष्ण को रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा।
 
7. रुक्मणी का विवाह भी बहुत रोचक परिस्थितियों में हुआ था। भगवान श्रीकृष्‍ण ने सबसे पहले रुक्मणी से ही विवाह किया था। श्रीमद्भागवत गीता में इस विवाह का वर्णन रोचक तरीके से मिलता है। भागवत कथा का जहां भी आयोजन होता है वहां इस विवाह की नाटकीय रूप से प्रस्तुति की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह प्रसंग श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रीशुकदेवजी राजा परीक्षित को सुनाते हैं।
 
8. रुक्मिणी हर समय श्रीकृष्ण के साथ रहती थी और वह प्रतिदिन सुबह उठकर श्रीकृष्ण वंदना करती थी। सत्यभामा रुक्मिणी के द्वार की जा रही इस पति भक्ति से जलती थी। जब यह बात श्रीकृष्‍ण को पता चली तो उन्होंने सत्यभामा का घमंड चूर करने के लिए रुक्मिणी का सहारा लेते हैं। सत्यभाभा के पुण्यक व्रत में जब नारदमुनि पुरोहित बनते हैं तो वे सत्यभामा से दान में श्रीकृष्‍ण को मांग लेते हैं। बाद में सत्यभामा को इसका पछतावा होता है तो वे कहती हैं कि मुझे मेरे पति पुन: चाहिए तो नारदजी कहते हैं कि इनके वजन इतना स्वर्ण तोल दो। तब सत्यभामा तराजू के एक पलड़े में श्रीकृष्ण को बैठाकर उनके ही वजन इतना स्वर्ण आभूषण रखती है परंतु इससे कुछ नहीं होता है और इस तरह धीरे धीरे उसके शरीर के गहने भी तराजू में रखा जाते हैं परंतु श्रीकृष्ण का पलड़ा भारी ही रहता है। तब रुक्मिणी आगे बढ़कर सत्यभामा से कहती है कि प्रभु स्वर्ण नहीं सच्चे प्रेम और भक्ति के भूखे हैं। ऐसा कहकर वह एक तुलसी सत्यभामा को हाथ में देती हैं। तब सत्यभामा समझ जाती है कि सच्चा प्रेम ही सत्य है। वह तुलसी का पत्ता रखते ही प्रभु का पलड़ा हल्का हो जाता है। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि रुक्मिणी श्रीकृष्ण को कितना प्रेम करती थी और वे ही उन्हें सबसे अच्छे से जानती थी कि वे प्रभु हैं।
 
9. श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के पुत्र : प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू। प्रद्युम्न के संबंध में सभी जानते हैं कि वे पिछले जन्म में कामदेव थे जिनको शिवजी ने भस्म कर दिया था और वरदान के स्वरूप उन्हें श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। इसी प्रद्युम्न के पुत्र थे अनिरुद्ध जिनका विवाह उषा से हुआ था।
 
10. भगवान श्रीकृष्ण के अपने परमधाम चले जाने के बाद रुक्मिणी और जाम्बवंती अग्नि में प्रवेश कर जाती हैं। सत्यभामा तथा अन्य देवियां तपस्या का निश्चय करके वन में चली जाती हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर, इन देशों में भी होंगे विशेष कार्यक्रम

प्रयागराज में डिजिटल होगा महाकुंभ मेला, Google ने MOU पर किए हस्‍ताक्षर

Yearly rashifal Upay 2025: वर्ष 2025 में सभी 12 राशि वाले करें ये खास उपाय, पूरा वर्ष रहेगा शुभ

28 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

28 नवंबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख