शीतला पर्व पर सुनाई जाती है राजकुमारी शुभकारी की यह कथा

Webdunia
इंद्र द्युम्न नामक एक राजा था। वह एक उदार और गुणी राजा था। उसकी एक पत्नी थी जिसका नाम प्रमिला और पुत्री का नाम शुभकारी था। 
 
बेटी की शादी राजकुमार गुणवान से हुई थी। इंद्र द्युम्न के राज्य में, हर कोई हर साल उत्सुकता के साथ शीतला सप्तमी का व्रत रखता था। एक बार इस उत्सव के दौरान शुभकारी अपने पिता के राज्य में भी मौजूद थे। इस प्रकार, उसने शीतला सप्तमी का व्रत भी रखा, जो शाही घराने के अनुष्ठान के रूप में मनाया जाता है।
 
अनुष्ठान करने के लिए, शुभकारी अपने मित्रों के साथ झील के लिए रवाना हुई। इस बीच, वे झील की तरफ जाते वक़्त अपना रास्ता भटक गए और सहायता मांग रहे थे। उस समय, एक बूढ़ी महिला ने उनकी मदद की और झील के रास्ते का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अनुष्ठान करने और व्रत का पालन करने में उनकी मदद की। सब कुछ इतना अच्छा हो गया कि शीतला देवी भी प्रसन्न हो गईं और शुभकारी को वरदान दे दिया। लेकिन, शुभकारी ने देवी से कहा कि वह वरदान का उपयोग तब करेंगी जब उसको आवश्यकता होगी या वह कुछ चाहेगी।
 
जब वे वापस राज्य में लौट रहे थे, शुभकारी ने एक गरीब ब्राह्मण परिवार को देखा जो अपने परिवार के सदस्यों में से एक की सांप के काटने की वजह से हुई मृत्यु का शोक मना रहे थे। इसके लिए, शुभकारी को उस वरदान की याद आई, जो शीतला देवी ने उसे प्रदान किया था और शुभकारी ने देवी शीतला से मृत ब्राह्मण को जीवन देने की प्रार्थना की। ब्राह्मण ने अपने जीवन को फिर से पा लिया। यह देखकर और सुनकर, सभी लोग शीतला सप्तमी व्रत का पालन करने लगे और पूजा के महत्व और शुभता को समझा। सभी ने हर साल व्रत का पालन दृढ़ता और समर्पण के साथ करना शुरू कर दिया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्यों वर्ष में एक ही बार नागपंचमी पर खुलते हैं उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट?

नागपंचमी पर जानिए वासुकि, तक्षक और शेषनाग की कहानी

ये 3 राशियां हमेशा क्यों रहती हैं प्यासी और असंतुष्ट?

क्या फिर लौटेगी महामारी! नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा की भविष्यवाणी में छुपे 2025 में तबाही के संकेत

शनि और मंगल का होने वाला है आमना-सामना, देश में घट सकती हैं ये 5 घटनाएं

सभी देखें

धर्म संसार

30 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

30 जुलाई 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

सावन में शिवजी को कौनसे भोग अर्पित करें, जानें 10 प्रमुख चीजें

शनि मंगल का समसप्तक और राहु मंगल का षडाष्टक योग, भारत को करेगा अस्थिर, 5 कार्य करें

कल्कि जयंती पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, जानिए आने वाले अवतार के 5 रहस्य

अगला लेख