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स्कंद षष्ठी 2024: जानें मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और मंत्र

WD Feature Desk
HIGHLIGHTS
* आज स्कंद षष्ठी का पावन पर्व है।
* स्कंद षष्ठी एक तमिल पर्व है।
* इस दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का पूजन होता है।

Skanda Sashti 2024: वर्ष 2024 में 15 मार्च, दिन शुक्रवार को स्कंद षष्ठी व्रत मनाया जा रहा है। स्कंद षष्ठी एक तमिल पावन पर्व है। अत: दक्षिण भारत में यह पर्व पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इस बार यह व्रत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर रखा जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों में षष्ठी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह तिथि शिव-पार्वती जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इस दिन कार्तिकेय भगवान का पूजन करने का विधान है। 
 
व्रत का महत्व : पौराणिक शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से जीवन में उच्च योग के लक्षणों की प्राप्ति होती है। धार्मिक शास्त्रों में भी इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है। 
 
पुराणों में वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु ने माया मोह में पड़े नारद जी का इसी दिन उद्धार करते हुए लोभ से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन कार्तिकेय के साथ भगवान श्री‍हरि विष्णु जी के पूजन का विशेष महत्व माना गया है। इस व्रत से नि:संतानों को संतान की प्राप्ति तथा सफलता, सुख-समृद्धि, वैभव प्राप्त होता है। दरिद्रता-दुख का निवारण होता है तथा जीवन में धन-ऐश्वर्य मिलता है। 
 
मान्यतानुसार इस दिन घर की साफ-सफाई करके संकल्प लेकर व्रत की शुरुआत की जाती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुख और दरिद्रता का निवारण होता है। भगवान कार्तिकेय के पूजन से हर मनोकामना को पूर्ण होने की मान्यता है। यह व्रत क्रोध, लोभ, अहं, काम जैसी बुराइयों पर विजय दिलाकर अच्छा और सुखी जीवन जीने की प्रेरणा देता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन पूरे मन से अवश्‍य ही करना चाहिए। तथा पूजन के पश्चात ब्राह्मण भोज के साथ स्नान के बाद कंबल, गरम कपड़े दान करने से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होती है।  
 
स्कन्द षष्ठी के मुहूर्त 2024 : Skanda Shashti Muhurat 2024 
 
फाल्गुन शुक्ल षष्ठी तिथि का प्रारंभ- 14 मार्च को 02:55 पी एम से,
फाल्गुन शुक्ल षष्ठी की समाप्ति- 15 मार्च, 01:39 पी एम पर। 
तिथि- षष्ठी : 01:39 पी एम तक।
राहुकाल- 10:07 ए एम से 11:38 ए एम
गुलिक काल- 07:04 ए एम से 08:35 ए एम
यमगण्ड- 02:40 पी एम से 04:11 पी एम
अभिजित मुहूर्त- 11:13 ए एम से 12:02 पी एम
अमृत काल- 16 मार्च 04:24 ए एम से 06:00 ए एम तक।  
 
पूजा विधि-Puja Vidhi
 
- स्कंद षष्ठी व्रत के दिन घर की साफ-सफाई करें। 
- प्रातः दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- व्रतधारी इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करें।
- अब भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- पूजन में घी, दही, जल, पुष्प से अर्घ्य प्रदान करके कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, इत्र आदि से पूजन करें।
- इस दिन कार्तिकेय का पूजन निम्न मंत्र से करें- 'देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥' 
- मौसमी फल, पुष्प तथा मेवे का प्रसाद चढ़ाएं। 
- भगवान कार्तिकेय से क्षमा प्रार्थना करें और पूरे दिन व्रत रखें।
- सायंकाल के समय पुनः पूजा के बाद भजन, कीर्तन और आरती करने के बाद फलाहार करें।
- रात्रि में भूमि पर शयन करें।
- साथ ही आज इन मंत्रों का निरंतर जाप करें। 
- मंत्र : 'ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कन्दा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।' तथा 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात'। का जाप करें। 

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