सोमवती अमावस्या विशेष : पढ़ें पूजन विधि, उपाय एवं कथा...

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* क्या करें सोमवती अमावस्या का दिन, जानिए... 
 
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते है। यह अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखती है। इस दिन सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है, ऐसा पुराणों में वर्णित है। 
 
विशेष कर सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिवजी की आराधना, पूजन-अर्चना उन्हीं को समर्पित होती है। इसीलिए सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।

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पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं तथा शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं। 

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पूजन विधि : 
 
* ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। 
 
* सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
 
* सोमवती अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। 
 
* महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। 
 
* सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। 
 
* सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है। 
 
* जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी। 
 
* पर्यावरण को सम्मान देने के लिए भी सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है। 

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