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मेष संक्रांति से तमिल नववर्ष पुथन्डु प्रारंभ, जानिए खास बातें

WD Feature Desk
सोमवार, 14 अप्रैल 2025 (12:40 IST)
What is Tamil Puthandu: तमिल नववर्ष, जिसे पुथन्डु भी कहा जाता है, तमिलनाडु और दुनिया भर के तमिलों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मेष संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जो तमिल सौर कैलेंडर का पहला महीना है, जिसे चित्तिरई कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह आमतौर पर 14 अप्रैल को पड़ता है। 2025 में, पुथन्डु सोमवार, 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।ALSO READ: तमिल, बंगाली, मलयालम और पंजाबी का नववर्ष मेष संक्रांति से प्रारंभ
 
इस त्योहार से जुड़ी 5 खास बातें यहां दी जा रही गई हैं। आइए जानते हैं...
 
1. सौर नववर्ष की शुरुआत: पुथन्डु तमिल सौर कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है। यह प्रकृति के चक्र और सूर्य की गति के साथ जुड़ा हुआ है, जो फसल चक्र और जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
 
2. शुभ 'कन्नी' का दर्शन: पुथन्डु के महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों में से एक सुबह उठकर 'कन्नी' देखना है। 'कन्नी' का अर्थ है 'शुभ दर्शन'। इसके लिए, एक थाली में चावल, फल या जैसे आम, केला और कटहल, फूल, सोने या चांदी के आभूषण, सिक्के, एक दर्पण और पान के पत्ते जैसी शुभ वस्तुएं रात को सजाकर रखी जाती हैं। यह माना जाता है कि सुबह सबसे पहले इन चीजों को देखने से पूरे वर्ष सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है।ALSO READ: बृहस्पति ग्रह की 3 गुना अतिचारी चाल से 8 वर्षों में बदल जाएगा दुनिया का हाल
 
3. घरों की सजावट और 'कोलम': इस दिन, लोग अपने घरों को अच्छी तरह से साफ करते हैं और प्रवेश द्वारों को रंगीन 'कोलम' या चावल के आटे से बनी रंगोली से सजाते हैं। आम के पत्तों से बने तोरण भी दरवाजों पर लटकाए जाते हैं, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
 
4. विशेष व्यंजन 'मंगई पचड़ी': पुथन्डु पर एक विशेष व्यंजन बनाया जाता है जिसे 'मंगई पचड़ी' कहते हैं। यह कच्ची कैरी, गुड़, नीम के फूल और मिर्च जैसी विभिन्न स्वादों का मिश्रण होता है। यह व्यंजन जीवन के विभिन्न अनुभवों- सुख, दुख और चुनौतियों को दर्शाता है, जिन्हें समान भाव से स्वीकार करना चाहिए। इसके अलावा, कई अन्य पारंपरिक शाकाहारी व्यंजन भी बनाए जाते हैं।ALSO READ: केरल के हिंदुओं के त्योहार विषु कानी की विशेष जानकारी
 
5. मंदिरों में दर्शन और प्रार्थनाएं: इस दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं और मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान विष्णु, गणेश और मुरुगा और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है और आने वाले वर्ष के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है। कई मंदिरों में इस दिन से चित्तिरई उत्सव भी शुरू होता है।
 
पुथन्डु केवल एक नया साल नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत, आशा और सकारात्मकता का प्रतीक है। यह परिवार और समुदाय के साथ मिलकर खुशियां मनाने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने का भी अवसर है।
 
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