लालू प्रसाद यादव : प्रोफाइल

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लालू प्रसाद यादव को बिहार की राजनीति में सबसे चहेते राजनीतिज्ञ के रूप में जाना जाता है। उनकी सहज नेतृत्व क्षमता और अद्भुत राजनीतिक समझ ने उन्हें भारत में बहुत लोकप्रिय बनाया है। लालू प्रसाद न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियत हैं। वे सात वर्ष तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।
प्रारंभिक जीवन : लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून, 1948 को बिहार के गोपालगंज के फुलवरिया गांव में एक किसान परिवार में हुआ। उन्‍होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोपालगंज से ही प्राप्‍त की और आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गए। पटना के बीएन कॉलेज से उन्‍होंने लॉ में स्‍नातक तथा राजनीति शास्‍त्र में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई पूरी की।
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : लालू प्रसाद यादव की माता का नाम मराछिया और पिता का नाम कुंदन राय है। 1 जून, 1973 को इनका विवाह राबड़ी देवी से हुआ। इन दोनों के दो बेटे और सात बेटियां हैं।
 
राजनीतिक जीवन : लालू प्रसाद यादव छात्र जीवन से ही राजनीति में बहुत सक्रिय रहे। वे राजनीति के क्षेत्र में जयप्रकाश नारायण, राज नरेन, कर्पूरी ठाकुर और सत्येन्द्र नारायण सिन्हा जैसे नेताओं से बहुत प्रभावित रहे। 
 
सन् 1970 में वे पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। 1977 में लालू प्रसाद ने लोकसभा चुनाव जीता। 1989 में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, इस दौरान वे सात वर्ष तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 
 
23 सितंबर 1990 को उन्‍होंने लालकृष्‍ण आडवाणी को रथयात्रा के दौरान गिरफ्तार करने का आदेश दिया। 1996 में उन पर एक बड़े घोटाले (चारा घोटाला) का आरोप लगा। 1997 में उन्‍होंने राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना की। 1997 में उन्‍होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा दिया। 
 
2004 में वे केन्द्रीय रेलमंत्री बने। 2009 में उन्‍होंने लोकसभा चुनाव जीता। 3 अक्टूबर 2013 को चारा घोटाले मामले में न्यायालय ने उनको पच्चीस लाख रुपए जुर्माना और पांच साल कारावास की सजा सुनाई। वे दो महीने तक जेल में रहे। बाद में 13 दिसंबर को उच्‍चतम न्‍यायालय ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। 
 
उपलब्धि : लालू प्रसाद यादव का नाम सर्वाधिक समय तक किसी राजनीतिक दल के अध्यक्ष बने रहने के लिए 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में दर्ज किया गया है। रेलमंत्री के रूप में उन्हें भारतीय रेल के प्रबंधन और प्रशासन को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए जाना जाता है। 
 
लालू प्रयाद द्वारा लाया गया रेल का यह परिवर्तन भारत के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों के साथ-साथ दुनियाभर के बिजनेस स्कूलों में एक शोध का विषय बन गया। बिहार में स्थानीय लेखकों ने उन पर कई किताबें भी लिखी हैं। 
 
सन् 2004 में 'पद्मश्री लालू प्रसाद यादव' नाम से एक फिल्म का भी निर्माण हुआ। अपनी बोलने की शैली के कारण लालू प्रसाद विश्‍वभर में विशेष पहचान बनाए हुए हैं। इनकी रुचि खेलों तथा सामाजिक कार्यों में भी रही है। 2001 में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष रह चुके हैं।
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