महाकुंभ में क्या हैं अखाड़े, कुल कितने हैं अखाड़े और किसने की थी इनकी शुरुआत

WD Feature Desk
सोमवार, 6 जनवरी 2025 (09:41 IST)
Mahakumbh 2025: आपने महाकुंभ के दौरान साधुओं के विशाल जत्थों को जरूर देखा होगा। इन जत्थों को अखाड़े कहा जाता है। अखाड़ा सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि साधुओं का एक संगठन है जो धार्मिक अनुष्ठानों, सामाजिक कार्यों और हिंदू धर्म की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आइए इस लेख में जानते हैं आखिर साधु संतों के जत्थे को क्यों कहा जाता है अखाड़ा और कुल कितने हैं अखाड़े । साथ ही इस आलेख में हम आपको बताएंगे किसने की थी इन अखाड़ों की शुरुआत और अखाड़े से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां।

अखाड़ों का इतिहास
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कई संगठन बनाए थे। इन्हीं संगठनों को अखाड़े के नाम से जाना जाता है। अखाड़े शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'कुश्ती का मैदान'। लेकिन धीरे-धीरे इसका अर्थ बदलकर साधुओं के संगठन के लिए होने लगा।

अखाड़ों के प्रकार
भारत में अखाड़ों की संख्या 13 है, जिन्हें मुख्य रूप से तीन संप्रदायों में बांटा जा सकता है।
 
महाकुंभ में अखाड़ों का महत्व
महाकुंभ में अखाड़े एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं बल्कि समाज सेवा के कार्यों में भी लगे रहते हैं। महाकुंभ के दौरान अखाड़े के साधु संगठित होकर स्नान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

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अखाड़ों की भूमिका
अखाड़े हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण संस्था हैं। वे न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं बल्कि समाज सेवा के कार्यों में भी लगे रहते हैं। महाकुंभ में अखाड़ों की उपस्थिति हिंदू धर्म की एकता और समृद्धि का प्रतीक है।

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