महाकुम्भ में हिंदुओं की किस मांग को मिल रहा मौलाना का समर्थन, सनातन बोर्ड से क्या है सम्बन्ध

WD Feature Desk
मंगलवार, 28 जनवरी 2025 (16:24 IST)
Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ के दौरान सनातन बोर्ड के गठन की मांग जोरों पर है। इस मुद्दे पर एक बड़ा मोड़ तब आया जब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने इस मांग का समर्थन किया। उन्होंने न केवल सनातन बोर्ड के गठन का समर्थन किया बल्कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा।

मौलाना का सनातन बोर्ड पर समर्थन
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय के लिए काम करता है, उसी तरह सनातन बोर्ड हिंदू समुदाय के लिए काम करेगा। उन्होंने कहा कि सनातन बोर्ड के गठन से हिंदू समुदाय के गरीब और कमजोर लोगों को आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।

अखिलेश यादव पर निशाना
मौलाना ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि अखिलेश यादव अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान की तुलना किसी व्यक्ति या किसी राजनीतिक पार्टी के एजेंडे से नहीं की जा सकती है।

वक्फ बोर्ड के तर्ज पर सनातन बोर्ड
मौलाना ने सुझाव दिया कि भारत सरकार को वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड का गठन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए काम करता है, उसी तरह सनातन बोर्ड हिंदू समुदाय के विकास के लिए काम करेगा।

कौन हैं सनातन बोर्ड के सदस्य
इस बोर्ड में देश के 13 प्रमुख अखाड़े शामिल हैं, जिनमें श्री पंच दशनाम जूना (भैरव) अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री शम्भू पंच अग्नि अखाड़ा, श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल, और श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन शामिल हैं। इसके अलावा, बोर्ड में धर्माचार्यों के साथ-साथ रिटायर्ड जस्टिस और वरिष्ठ वकील भी शामिल किए गए हैं।

क्या होंगे सनातन बोर्ड के मुख्य कार्य
सनातन बोर्ड का मुख्य उद्देश्य देश के प्रमुख मंदिरों की देखरेख करना है। बोर्ड ने देश के लगभग 200 प्रमुख मंदिरों की एक सूची तैयार की है, जिन्हें इस बोर्ड के अधीन लाया जाएगा। बोर्ड का मानना है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करके ही उनकी स्वायत्तता सुनिश्चित की जा सकती है।

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