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महाकुंभ में क्यों रस्सियां, गांठ और घुंघरू बांधकर चल रहे श्रद्धालु?

महाकुंभ में लोगों को सता रहा है अपनों से बिछड़ने का डर, रस्सियां, गांठ और घुंघरू बांधकर चल रहे श्रद्धालु

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 26 फ़रवरी 2025 (11:12 IST)
Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में लाखों लोगों की भीड़ के बीच श्रद्धालु अपने परिवार के अन्य सदस्यों से आसानी से बिछड़ सकने की आशंका के बीच, संगम तक जाते और वापस आते समय अपने परिचितों के साथ-साथ चलने के लिए अलग-अलग उपाय अपना रहे हैं। जहां कुछ लोग लंबी रस्सी लाए हैं और उन्होंने उससे एक सुरक्षा घेरा बनाया है जिसमें वे चल सकें, वहीं कई अन्य लोग एक-दूसरे के कपड़ों से गांठ बांधकर चल रहे हैं ताकि वे बिछड़ न जाएं। बड़ी संख्या में लोगों के पैरों में घूंघरू भी दिखाई दे रहे हैं। 
 
बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर शुभ स्नान के साथ 45 दिवसीय महाकुंभ का समापन होगा। हर 12 साल बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। बुधवार तड़के से ही श्रद्धालुओं का गंगा और संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला जारी है। इस बीच, सरकार ने श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की। ALSO READ: Mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ की अविस्मरणीय यात्रा, आस्था के ज्वार की आंखों देखी
 
अधिकारियों ने बताया कि सुबह आठ बजे तक 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। इस तरह से 13 जनवरी से आरंभ हुए महाकुंभ में अब तक 65.37 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा और संगम में डुबकी लगा चुके हैं और शाम तक यह आंकड़ा 66 करोड़ को पार करने की संभावना है।
 
सोमवार रात से लेकर कई लोग अपने प्रियजन और मित्रों से नदी किनारों या मेला क्षेत्र के अन्य हिस्सों में बिछड़ चुके हैं। इनमें से कई लोगों को मानवीय सहायता और डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपने परिजन से मिलाया जा चुका है।
 
सेक्टर तीन, अक्षय वट रोड स्थित ‘खोया-पाया’ केंद्र पर सोमवार देर रात तीन बजे भी चहल-पहल थी। मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से आए 34 तीर्थयात्रियों ने अपने समूह के चारों तरफ रस्सी का घेरा बनाया जिसे विभिन्न ओर से समूह के कुछ सदस्यों ने थाम रखा था। समूह में शामिल सोमदत्त शर्मा (34) ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि हमने यह सुरक्षा घेरा इसलिए बनाया है ताकि हम एक-दूसरे से बिछड़ न जाएं। हम पहली बार किसी कुंभ में आए हैं और हम एक-दूसरे से अलग होने के खतरों से वाकिफ हैं इसलिए हमने यह व्यवस्था की है।
 
पीली कोठी क्षेत्र के स्थानीय निवासी अजय कुमार कुंभ मेला शुरू होने के बाद से रोजाना अपने घर से तीर्थयात्रियों की भीड़ को गुजरते देखते हैं। उन्होंने कहा कि गांवों के लोग गांठ बांधकर चलते हैं। पुरुष तीर्थयात्री अपनी धोती के साथ अपने साथ आई महिला की साड़ी के पल्लू को बांधते हैं या दो महिलाएं एक-दूसरे के शॉल का उपयोग करके गांठ बांध लेती हैं। ALSO READ: महाशिवरात्रि पर महाकुंभ का अंतिम स्नान, 60 लाख से अधिक लोगों ने लगाई डुबकी
 
उन्होंने कहा कि दरअसल कई लोग, विशेषकर बुजुर्ग, अपने पास मोबाइल फोन नहीं रखते और उन्हें संपर्क नंबर भी मुश्किल से याद रहता है इसलिए एक बार बिछड़ जाने पर उनका फिर से मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर वे गांठ बांधकर चलते हैं।
 
एक अन्य श्रद्धालु अक्षत लाल ने कहा कि कुछ लोग तो एक पैर में घुंघरू बांधकर चल रहे हैं, ताकि भीड़ में खो जाने पर उनकी आवाज से एक-दूसरे को खोज सकें।
edited by : Nrapendra Gupta 

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