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कौन थे डूंगरपुर के संत मावजी महाराज, जिनका पीएम मोदी ने किया उल्लेख

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, बुधवार, 22 नवंबर 2023 (12:05 IST)
Rajasthan election news : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डूंगरपुर के सागवाड़ा में जनसभा में कहा कि पूरे राजस्थान के लोग लिखकर रखें। अब राजस्थान में कभी भी अशोक गहलोत की सरकार नहीं बनेगी, कभी भी नहीं, यह मावजी महाराज की धरती पर से बोले गए शब्द हैं। यहां की धरती से बोला गया शब्द कभी गलत नहीं हो सकता।
 
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ करो, राजस्थान को दंगों, अपराधों व भ्रष्टाचार से मुक्त करो। राजस्थान से कांग्रेस की विदाई इसलिए भी जरूरी है ताकि यहां केंद्र सरकार की हर योजना तेजी से लागू हो।
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में हर सरकारी भर्ती में घोटाला किया है। कांग्रेस के नेताओं और उनके करीबियों के बीच ऐसा कारोबार है कि उनके बच्चे तो अफसर बन गए और आपके बच्चे चुन-चुन करके बाहर कर दिए गए। इसलिए ऐसे लोगों को राजस्थान की धरती से चुन-चुनकर साफ करना है।
 
काले कारनामों की लाल डायरी के जो पन्ने खुल रहे हैं, उसमें कांग्रेस सरकार की काली सच्चाई है। लोकतंत्र ने आपको कुशासन वाली इस कांग्रेस सरकार को बदलने का मौका दिया है। इस मौके को जाने नहीं देना है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भाजपा है- जिसने आदिवासी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय बनाया। ये भाजपा है- जिसने आदिवासी कल्याण का बजट कई गुना बढ़ा दिया। भाजपा सरकार में करीब 90 वन उपजों पर एमएसपी मिल रही है।
 
कौन थे मावजी महाराज : संत मावजी महाराज वागड़ के महान संत थे। उनका जन्म बाघ प्रदेश के सांबला गांव (डूंगरपुर) में हुआ था। कहा जाता है कि 350 वर्ष पहले संत मावजी महाराज ने 5 चौपडे लिखे थे जिसमे से एक शेषपुर, दुसरा साबला, तीसरा बांसवाड़ा व चौथा पूंजपुर में है।
 
लोगों का कहना है कि मावजी महाराज ने जो भी भविष्यवाणियां की थी वो सारी इन चोपडो में लिखी। यह आज एक समय एक – एक कर सही साबित हो रही है। चौपडों में भविष्यवाणियों के साथ साथ विज्ञान, ज्योतिष, साहित्य, संगीत के साथ अर्थव्यवस्थाओं के बारे में सटीक जानकारियां हैं।
 
महाराज पंथ की स्थापना : कृष्ण भक्त मावजी महाराज ने भी अपने आराध्य की तरह ही रास लीलाएं की थी। बांसुरी के मधुर स्वरों से वे बेणेश्वर स्थल के वीरान जंगलों को आनन्दित करते रहे। गाय-भैंसों को चराने वाले इस बालक को कृष्ण भक्ति में खोए देखकर लोग इन्हें पागल समझने लगे। मावजी ने यहां जब वैष्णव धर्म की धारा को प्रवाहित किया तो इनकी चमत्कारिक प्रतिभा को देखकर बड़ी संख्या में लोग इनके भक्त बन गए। मावजी ने महाराज पंथ की स्थापना की। मावजी स्वंय को निष्कलंक अवतार मानते थे, अत: शिष्य समुदाय भी मावजी को निष्कलंक भगवान मानने लगे।
 
मावजी महाराज ने की थी उपग्रह की परिकल्पना : संत मावजी ने कपड़े पर उपग्रह और वायुयान के चित्र बनाए थे जो वर्तमान में निर्मित उपकरणों से हूबहू मिलते हैं। साद समाज के लोग आज भी उनकी आगमवाणी को भजनों के रूप में गाते हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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