मजबूत डोर

राजश्री कासलीवाल
ND
भाई और बहन
का रिश्ता
मजबूत डोर से बँधा
होता है
जिसे तोड़ना
आसान ही नहीं
नामुमकिन होता है।

प्यार और स्नेह से भरा
धागों की डोर से बँधा
यह रिश्ता
बहुत खास होता है।

लेकिन जीवन के कुछ क्षणों में
हुई अनबन से यह रिश्ता
थोड़ा-सा हिल-डुल तो सकता है
लेकिन टूट नहीं सकता
झुक नहीं सकता।

मजबूत रिश्तों की यह डोर
इंसान को बाँधे रखती है
एक-दूजे के स्नेह बंधन में
भाई-बहन और उनका प्यार ।

अजर-अमर हो जाता है
जब वह रिश्तों की
इस मजबूर डोर में
अपना जीवन बाँध
लेता है।

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